घटना सूरत ज़िले के सचिन क्षेत्र की है. इमारत में कई कपड़ा मजदूर और उनके परिवार रहते थे.
बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की मांग है कि बिजली गिरने से होने वाली मौतों को प्राकृतिक आपदा के रूप में देखा जाए. इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद पीड़ित राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से मुआवज़ा पाने के हक़दार होंगे. एसडीआरएफ को लगभग 75 फीसदी धनराशि केंद्र से मिलती है.