भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा देशभर के स्कूलों में एक पाठ्यक्रम की मांग वाली याचिका को ख़ारिज करने की मांग करते हुए सीबीएसई ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाख़िल हलफनामे में कहा है कि समान बोर्ड या पाठ्यक्रम का आह्वान करते हुए स्थानीय संदर्भ, संस्कृति और भाषा को ध्यान में नहीं रखा गया है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश भर के केंद्रीय और राज्य स्कूली शिक्षा बोर्डों के डेटा का विश्लेषण करने पर पाया कि वर्ष 2021-2022 में कक्षा 10वीं के 35 लाख छात्र 11वीं कक्षा में नहीं पहुंचे. इनमें से 85 फीसदी छात्र केवल 11 राज्यों से हैं.
केंद्र के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित करने के निर्णय के ख़िलाफ़ पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि नीट की तरह यह भी विविध स्कूली शिक्षा प्रणालियों को दरकिनार कर देगा और छात्रों को प्रवेश परीक्षा के अंकों में सुधार के लिए कोचिंग सेंटरों पर निर्भर बना देगा.