मेजर गोगोई को पुरस्कृत कर सेना ने एक झटके में कश्मीर घाटी के सभी वासियों को संदेश दे डाला है कि सेना तुम्हारी दोस्त नहीं है.
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंडिया के अनुसार, अधिकारी को पुरस्कृत करने का मतलब है कि सेना निर्दयी, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार के उस कृत्य को सही ठहराना चाहती है.
पिछले महीने बड़गाम में उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना ने अपनी जीप के आगे एक शख़्स को मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था.
कश्मीर में साल 1990 से लेकर 9 अप्रैल 2017 तक की अवधि में मौत के शिकार हुए लोगों में स्थानीय नागरिक, सुरक्षा बल के जवान और आतंकवादी शामिल हैं.
रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने ट्विटर पर कश्मीरी युवक को जीप पर बांधने को भी सही ठहराया. चोपड़ा सैन्य बल न्यायाधिकरण के सदस्य हैं, जहां कोर्ट मार्शल की अपील की सुनवाई भी होती है. उनका इस तरह के ट्वीट करना उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.
जन गण मन की बात की 36वीं कड़ी में विनोद दुआ कश्मीर घाटी में तनावपूर्ण माहौल और धार्मिक असहिष्णुता को लेकर आई एक वैश्विक रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे हैं.
सरकार के हिंसा पर एकाधिकार को तब ही स्वीकार किया जा सकता है जब वह क़ानून के दायरे में हो; अगर ऐसा नहीं है तब कोई उसके इस एकाधिकार को तोड़ता है तो उसे ग़लत नहीं ठहराया जा सकता.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए कश्मीर के वीडियो में दिख रहे फ़ारूक़ अहमद डार ने बताया कि उन्हें बंदूक के बट से पीटा गया और सेना द्वारा 5 घंटे तक जीप पर बांधकर घुमाया गया.