योगेंद्र यादव और सुहास पलशिकर ने एनसीईआरटी निदेशक को लिखे पत्र में कहा कि वे दोनों नहीं चाहते कि एनसीईआरटी 'उनके नामों के पीछे छिप जाए... और छात्रों को राजनीति विज्ञान की ऐसी किताबें दे जो उन्हें राजनीतिक रूप से पक्षपाती, अकादमिक रूप से अक्षम्य और शैक्षणिक रूप से अनुपयुक्त लगती हैं.'
देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े 33 शिक्षाविदों और राजनीति विज्ञान के जानकार, जो एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों पर जुड़े रहे हैं, का कहना है कि परिषद द्वारा इन किताबों में किए गए बदलावों के बाद वे यह दावा नहीं कर सकते कि ये उनके द्वारा तैयार की गई किताबें हैं.
शिक्षाविद सुहास पलशिकर और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने एनसीईआरटी से इसकी राजनीति विज्ञान की टेक्स्टबुक से उनका नाम बतौर ‘मुख्य सलाहकार’ हटाने को कहा है. उनका कहना है कि ‘युक्तिसंगत’ बनाने के नाम पर लगातार सामग्री हटाने से 'विकृत' हुई किताबों से नाम जुड़ा देखना उनके लिए शर्मिंदगी का सबब है.