कोई नहीं कह सकता कि नेता के तौर पर मनीष तिवारी या सलमान ख़ुर्शीद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है या उसे पूरा करने के लिए वे किताब लिखने समेत जो करते हैं, उसे लेकर आलोचना नहीं की जानी चाहिए. लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के नेताओं के रूप में उन्हें अपने विचारों को रखने की इतनी भी आज़ादी नहीं है कि वे लेखक के बतौर पार्टी लाइन के ज़रा-सा भी पार जा सकें?
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया था कि कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद की नई किताब ‘दूसरों की आस्था को चोट पहुंचाती है’ इसलिए इसके प्रकाशन, प्रसार और बिक्री पर रोक लगाई जानी चाहिए. अदालत ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि लोगों को बताइए कि यह ख़राब तरीके से लिखी है, कुछ बेहतर पढ़िए.
कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद द्वारा अपनी किताब ‘सनराइज़ ओवर अयोध्याः नेशनहुड इन आर टाइम्स’ में कथित तौर पर ‘हिदुत्व’ की तुलना जिहादी आतंकी संगठनों से की गई है, जिसके बाद विवाद छिड़ गया है. भाजपा के अलावा ख़ुर्शीद को इस किताब के कारण अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ा है.