क़ानूनी पेशे की संरचना सामंती, पितृसत्तात्मक और महिलाओं के अनुकूल नहीं है: सीजेआई चंद्रचूड़

भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक आयोजन के दौरान कहा कि कभी-कभी क़ानून और न्याय एक ही रास्ते पर नहीं चलते हैं. क़ानून न्याय का ज़रिया हो सकता है, तो उत्पीड़न का औज़ार भी हो सकता है. क़ानून उत्पीड़न का औज़ार न बने, बल्कि न्याय का ज़रिया बने.

‘अदालती कार्यवाही लाइव-स्ट्रीम हो, ताकि लोगों को पता चले कि क्यों इतने मामले लंबित पड़े हैं’

साल 2018 के एक मामले की सुनवाई के दौरान जब वकील ने स्थगन की मांग की तो सर्वोच्च न्यायालय ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि इसी वजह से अदालत बदनाम होती हैं. वकील तारीख़ पर तारीख़ मांगते हैं और हम पर केस का बोझ बढ़ता जाता है. न्यायालयों में इसलिए मामले लंबित पड़े हैं, क्योंकि मामले में दलीलें नहीं पेश की जाती हैं.