तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के एक उम्मीदवार ने आयोग के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसके तहत उसे परीक्षा में ‘पिछड़ा वर्ग (मुस्लिम)’ न मानते हुए ‘सामान्य श्रेणी’ का माना गया था. याचिकाकर्ता का तर्क था कि चूंकि वह धर्मांतरण के पहले ‘सबसे पिछड़े वर्ग’ से ताल्लुक रखता था, इसलिए धर्मांतरण के बाद उसे इसके तहत लाभ मिलना चाहिए था.