पतंजलि ने योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए एक चैरिटेबल संस्था की स्थापना की थी. हालांकि, इसने सालों तक कोई चैरिटी का काम तो नहीं किया, बल्कि इसका इस्तेमाल इस समूह के बढ़ते कारोबार को मज़बूत करने के लिए किया गया.
फ़िल्म ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ के बाद ‘द केरला स्टोरी’ का बनाया जाना एक सिलसिले की शुरुआत है. कम पैसों में, ख़राब अभिनय और निर्देशन के बावजूद सिर्फ़ मुसलमानों के ख़िलाफ़ घृणा प्रचार के विषय के सहारे अच्छी कमाई हो सकती है, क्योंकि ऐसी फ़िल्मों के प्रचार में अब राज्य की मशीनरी और भाजपा का एक पूरा तंत्र काम करता है.
फिल्म में स्पष्ट रूप से फ़र्ज़ी नैरेटिव और आंकड़े दिए गए हैं, और बात प्रोपगैंडा से कहीं आगे की है, लेकिन फिर भी दर्शकों के पास इसे देखकर इसके बारे में अपनी राय बनाने का विकल्प होना चाहिए.
वीडियो: केरल की महिलाओं के कथित तौर पर इस्लाम में धर्मांतरण और आईएसआईएस में शामिल होने का दावा करने वाली फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ का जहां विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है, वहीं कुछ भाजपा शासित राज्यों में इस टैक्स फ्री कर दिया गया है. इस फिल्म को लेकर दिल्ली के युवाओं और छात्रों से बातचीत.
वीडियो: केरल का 'सच' बताने का दावा करने वाली विवादित फिल्म 'द केरला स्टोरी' वहां के लोगों के बजाय उत्तर भारत के लिए बनाई गई फिल्म ज़्यादा लगती है.
केरल की महिलाओं के कथित तौर पर इस्लाम में परिवर्तित होने और आईएसआईएस में शामिल होने की कहानी दिखाने वाली फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ का विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि फिल्म ने उस साज़िश का पर्दाफ़ाश किया है, जिसमें हिंदू और ईसाई लड़कियों को आतंकवाद में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था.
सिंगापुर की इन्फोकॉम मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी ने संस्कृति, समुदाय और युवा मंत्रालय तथा गृह मंत्रालय के साथ एक संयुक्त वक्तव्य में कहा कि इस फिल्म को सिंगापुर के फिल्म वर्गीकरण दिशानिर्देशों के मानकों से परे पाया है.
लोग ये बहस कर सकते हैं कि फिल्म में दिखाई गई घटनाएं असल में हुई थीं और कुछ हद तक वे सही भी होंगे. लेकिन किसी भी घटना के बारे में पूरा सच, बिना कुछ भी घटाए, जोड़े और बिना कुछ भी बदले ही कहा जा सकता है. सच कहने के लिए न केवल संदर्भ चाहिए, बल्कि प्रसंग और परिस्थिति बताया जाना भी ज़रूरी है.
विवेक रंजन अग्निहोत्री भाजपा के पसंदीदा फिल्मकार के रूप में उभर रहे हैं और उन्हें पार्टी का पूरा समर्थन मिल रहा है.
वीडियो: ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ नामक किताब के लेखक अशोक कुमार पांडे ने हाल ही में रिलीज़ फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बारे में बात की. उन्होंने समझाया कि 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, वह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का माहौल बनाने के लिए फिल्म का इस्तेमाल किया जाता है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का कारण रहीं परिस्थितियों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की भी मांग की. उन्होंने मुसलमानों के प्रति नफ़रत की भावना नहीं रखने की अपील करते हुए कहा कि दिल्ली दंगे और 2002 में गुजरात में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए ज़िम्मेदार परिस्थितियों की भी जांच होनी चाहिए.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में दिखाया गया है कि उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, जबकि ऐसा नहीं है. यह बाद दोहराते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि उस समय कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और हत्याओं की भाजपा ने निंदा तक नहीं की थी.
कश्मीरी पंडितों के ख़िलाफ़ हिंसा ऐसी त्रासदी है जिस पर बात करते समय सिर्फ उसी पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए. किसी त्रासदी को तुलनीय बनाना उसका अपमान है. 'कश्मीर फ़ाइल्स' के निर्माताओं को यह सवाल करना चाहिए कि क्या वास्तव में कश्मीरी पंडितों की पीड़ा ने उन्हें फिल्म बनाने को प्रेरित किया या उसकी आड़ में वे अपनी मुसलमान विरोधी हिंसा को ज़ाहिर करना चाहते थे?
कश्मीरी पंडितों का विस्थापन भारत की गंगा-जमुनी सभ्यता के माथे पर बदनुमा दाग़ है और उसे मिटाने के लिए तथ्यों के धार्मिक सांप्रदायिक नज़रिये वाले फिल्मी सरलीकरण की नहीं बल्कि व्यापक और सर्वसमावेशी नज़रिये की ज़रूरत है. दुर्भाग्य से यह ज़रूरत अब तक नहीं पूरी हो पाई है और पंडितों को राजनीतिक लाभ के लिए ही भुनाया जाता रहा है.
हाल ही में रिलीज़ हुई अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म 'झुंड' की निर्माताओं में से एक सविता राज हिरेमठ ने सवाल किया है कि फिल्मों को कर मुक्त यानी टैक्स फ्री किए जाने के लिए सरकार के चयन के क्या मापदंड हैं. उन्होंने कई राज्यों द्वारा द कश्मीर फाइल्स को टैक्स फ्री किए जाने के आलोक में कहा कि अगर यह एक महत्वपूर्ण फिल्म है, तो 'झुंड' भी कम नहीं है.