कर्नाटक के मंगलुरु शहर के बाहर कुडुपू स्थित अनंत पद्मनाभ मंदिर का मामला. मंदिर प्रशासन ने सबसे कम बोली लगाने वाले मुस्लिम ठेकेदार को मंदिर में विभिन्न सेवाओं और कार्यक्रमों के लिए नियमित आधार पर केले की आपूर्ति करने का ठेका दिया था. दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.
बिहार के अररिया ज़िले के रामपुर कोकापट्टी पंचायत क्षेत्र का मामला. अज्ञात व्यक्तियों ने लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित शेषनाग प्रतिमा को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर मंदिर परिसर में एक झंडा लगा दिया, जिस पर दूसरे धर्म का अभिलेख लिखा था. पुलिस ने कहा कि घटना को लेकर अज्ञात तत्वों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर उनकी पहचान की कोशिश की जा रही है.
राजस्थान के जालौर ज़िले के एक गांव का मामला. पीड़ित परिवार के सदस्यों ने पुजारी के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया है.
बेंगलुरु के केएसआर रेलवे स्टेशन पर कुलियों के विश्राम के लिए बने पर इस्तेमाल में न आने वाले कमरे में लंबे समय से मुस्लिम श्रमिकों द्वारा नमाज़ पढ़ी जा रही थी. अब हिंदू जनजागृति समिति ने इस पर आपत्ति जताए हुए इसे 'साज़िश का हिस्सा' बताया है.
बक्सर सिविल कोर्ट द्वारा 6 जनवरी को जारी एक आदेश में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश का हवाला देते हुए अदालत के कर्मचारियों को सर्किट हाउस के पास मंदिरों की सफाई के लिए कहा गया था. आदेश पर सवाल उठने के बाद इसे लिपकीय त्रुटि बताते हुए 10 जनवरी को वापस लिया गया, पर तब तक कर्मचारी मंदिर साफ कर चुके थे.
पोंडा के मंगेशी मंदिर में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा की मुक्ति के साठवें बरस में पुर्तगाली शासनकाल में तोड़े गए मंदिरों को दोबारा बनाए जाने की ज़रूरत है. मैं फिर हिंदू संस्कृति और मंदिर संस्कृति को बचाने का आग्रह करता हूं. हमें इन मंदिरों का पुनर्निर्माण करने की ताक़त दीजिए.
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम 21वीं सदी में रहते हैं, हमारे पास चमचमाती सड़कें हैं, लेकिन बहुत से लोग जो उन पर चलते हैं, आज भी जाति व्यवस्था से प्रभावित हैं. हमारा मस्तिष्क कब चमकेगा? हम कब अपनी जाति आधारित मानसिकता का त्याग करेंगे.
घटना 26 अक्टूबर को कच्छ ज़िले के गांधीधाम क़स्बे के नेर गांव में हुई. आरोपी इस बात से नाराज़ थे कि एक व्यक्ति गोविंद वाघेला और उनका परिवार 20 अक्टूबर को नेर गांव के राम मंदिर में तब पूजा के लिए आया, जब वहां प्राण प्रतिष्ठा की रस्म चल रही थी. मामले में अब तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है.
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले का मामला. बुधवार दोपहर धम्म यात्रा के दौरान बौद्ध अनुयायियों में शामिल कुछ अराजक तत्व संकिसा बौद्ध तीर्थ क्षेत्र में विवादित टीले पर स्थित बिसारी देवी मंदिर पर चढ़े और वहां लगा भगवा झंडा नीचे फेंककर उस पर पंचशील ध्वज लगा दिया.
डासना मंदिर के पुजारी और कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि बच्चे को उन पर नज़र रखने के लिए भेजा गया था. पुलिस का कहना है कि उक्त बच्चा क्षेत्र से परिचित नहीं था और अनजाने में मंदिर में चला गया था. उसके बयान की सच्चाई जानने के बाद उसे छोड़ दिया गया.
कर्नाटक में कोप्पल जिले के मियापुरा गांव का मामला. अनुसूचित जाति के चेन्नादासर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक व्यक्ति बीते चार सितंबर को अपने दो साल के बेटे के जन्मदिन पर मंदिर गए थे. इस दौरान परिवार मंदिर के बाहर खड़ा था, लेकिन बच्चा मंदिर में चला गया, जिससे मंदिर के पुजारी नाराज़ और अन्य लोग नाराज़ हो गए थे.
बीते 4 अगस्त को फ़ैसल अहमद ख़ान नाम के शिक्षक ने धुर दक्षिणपंथी नेताओं यति नरसिंहानंद और सूरज पाल अमू द्वारा अलग-अलग मौकों पर मुस्लिम विरोधी भाषण दिए जाने पर जामिया नगर पुलिस स्टेशन में शिकायतें दी थी. कोई कार्रवाई न होने पर 7 अगस्त को उन्होंने ने साकेत ज़िला अदालत से पुलिस को एफ़आईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की.
घटना गाज़ियाबाद की है. आरोप है कि मांसाहार का सेवन करने के संदेह के चलते युवक पर हमला किया गया था. हालांकि पुलिस ने इससे इनकार किया है.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में चारधामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए एक अधिनियम के जरिये देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था. तीर्थ पुरोहित इसका शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. संत नौकरशाहों की जगह मंदिर का नियंत्रण उनके हाथ में देने की मांग कर रहे हैं.
यह भारत का सामाजिक स्वभाव बनता जा रहा है कि मुसलमानों को खुलेआम मारा जा सकता है, उनके ख़िलाफ़ हिंसक प्रचार किया जा सकता है और पुलिस-प्रशासन से लेकर राजनीतिक दलों तक कोई भी इसे गंभीर मामला मानने को तैयार नहीं.