मनोज झा के भाषण को लेकर विवाद की जडे़ं सिर्फ वहीं नहीं, जहां बताई जा रही हैं 

सामाजिक न्याय के लिए लड़ने का दावा करने वाले हिंदुत्ववादी शक्तियों से किसी सुविचारित दीर्घकालिक रणनीति के बजाय चुनावी समीकरणों के सहारे निपटते रहे. इसने उन्हें सत्ता दिलाई तो भी सामाजिक न्यायोन्मुख नीतियां लागू व कार्यक्रम चलाकर उसकी अपील का विस्तार नहीं किया. 

मनोज झा के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया ने दिखाया कि ‘उच्च जातियां’ अपना वर्चस्व नहीं छोड़ना चाहतीं

मनोज झा के एक वक्तव्य पर जिस प्रकार की हिंसक प्रतिक्रिया हुई है, उससे वर्चस्वशाली समुदाय के हिंसक स्वभाव को समझा जा सकता है.