तीन जनवरी 2018 को द ट्रिब्यून अख़बार में प्रकाशित पत्रकार रचना खेड़ा की रिपोर्ट में बताया गया था कि पेटीएम के ज़रिये सिर्फ़ 500 रुपये का भुगतान करने पर दस मिनट के भीतर एक एजेंट ने उन्हें लॉग-इन आईडी और पासवर्ड दिया, जिससे फोटो, फोन नंबर और ईमेल सहित किसी भी आधार नंबर की पूरी जानकारी ली जा सकती थी.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे नरेंद्र मोदी का कांग्रेस के किसी नेता के भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त से जेल में न मिलने के बारे में किया गया दावा बिल्कुल ग़लत है.
यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणि ने कहा, आधार को बदनाम करने का अभियान चल रहा है.
अमेरिकी ह्विसिल ब्लोवर स्नोडेन ने कहा कि आधार लीक मामले में द ट्रिब्यून की पत्रकार पर कार्रवाई की जगह उसे पुरस्कृत करना चाहिए.
भाजपा सांसद ने कहा, क्या केवल प्रतिशोध की राजनीति की जा रही है, यहां तक कि समाज और देश के लिए ईमानदारी से पेश आने वाली जनता को भी परेशान किया जा रहा है.
एडिटर्स गिल्ड ने आधार डेटा चोरी को लेकर दर्ज प्राथमिकी वापस लेने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की.
इस ख़बर में दावा किया गया था कि एक 'एजेंट' की मदद से मात्र 500 रुपये खर्च कर के किसी भी व्यक्ति के बारे में आधार से जुड़ी सभी निजी जानकारी हासिल की जा सकती है.