द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
केंद्र के ख़िलाफ़ अभियान शुरू करेगा संयुक्त किसान मोर्चा, 26 जनवरी को 500 ज़िलों में होगी ट्रैक्टर परेड
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि देशभर के 20 राज्यों में इसकी राज्य इकाइयां 10-20 जनवरी तक घर-घर जाकर और पर्चा वितरण के माध्यम से ‘जन जागरण’ अभियान चलाएंगी. इसका उद्देश्य केंद्र सरकार की ‘कॉरपोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों को उजागर करना’ है.
पुस्तक समीक्षा: आंदोलन के साथ ही आंदोलनों का दस्तावेज़ीकरण एक महत्वपूर्ण और ज़िम्मेदारी भरा काम है. पत्रकार मनदीप पुनिया ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन की यात्रा को तथ्यों के साथ रचनात्मक तरीके से दर्ज करते हुए इसी दिशा में प्रयास किया है.
नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी. दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने बताया कि 26 जनवरी 2021 को हुई हिंसा से जुड़े मामलों को वापस लेने का औपचारिक अनुरोध उपराज्यपाल को भेजा गया है.
केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग के समर्थन में पिछले साल 26 जनवरी को किसानों ने ‘ट्रैक्टर परेड’ निकाली थी, जब किसानों और पुलिस के बीच कई स्थानों पर झड़पें हुई थीं. इस दौरान बहुत से प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर चलाते हुए लाल क़िला तक पहुंच गए थे और उन्होंने वहां एक ध्वज स्तंभ में धार्मिक झंडा लगा दिया था. इस मामले में दीप सिद्धू को नौ फरवरी 2021 को गिरफ्तार किया गया था.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्डस अथॉरिटी (एनबीडीएसए) का कहना है कि समाचार चैनल ज़ी न्यूज़ ने किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग के दौरान एथिक्स कोड का उल्लंघन किया है. संगठन का कहना है कि चैनल द्वारा प्रसारित तीन वीडियो में कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को खालिस्तानियों से जोड़ा गया और ग़लत रिपोर्ट की कि 26 जनवरी 2021 को लाल क़िले से भारतीय झंडे को हटा दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि क़ानून वापस लेने की घोषणा के बाद भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा है कि बिल तो बनते-बिगड़ते रहते हैं, बिल वापस आ जाएगा. इसी तरह राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी कहा है कि ज़रूरत पड़ने पर कृषि क़ानूनों को फिर से लाया जा सकता है.
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के तय कार्यक्रम के अनुसार 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को दिल्ली सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा.
केंद्र सरकार किसानों की मांगों के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं थी, ख़ुद प्रधानमंत्री ने संसद में आंदोलनकारियों को तिरस्काररपूर्ण ढंग से ‘आंदोलनजीवी’ कहा था. भाजपा के तंत्र ने हर क़दम पर आंदोलन को बदनाम करने और कुचलने की कोशिश की पर किसान आंदोलन जारी रखने के संकल्प पर अडिग रहे.
गुरुनानक जयंती पर राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करते हुए कहा, 'मैं देश से माफ़ी मांगता हूं क्योंकि लगता है कि हमारे प्रयासों में कुछ कमी रह गई है, जिसके कारण हम कुछ किसानों को सच्चाई समझा नहीं सके.'
जब से किसानों ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू किया था, तब ही से भाजपा नेताओं से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक ने किसानों को धमकाने और उन्हें आतंकी, खालिस्तानी, नक्सली, आंदोलनजीवी, उपद्रवी जैसे संबोधन देकर उन्हें बदनाम करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी थी.
शेतकारी संगठन के अध्यक्ष और विवादित कृषि क़ानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के एक सदस्य अनिल जे. घानवत ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उठाया गया सबसे प्रतिगामी क़दम है, क्योंकि उन्होंने किसानों की बेहतरी के बजाय राजनीति को चुना. समिति सदस्यों ने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट उनके द्वारा मार्च में सौंपी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करता है तो वे कर देंगे.
मोदी सरकार इतनी आसानी से किसानों के आगे नहीं झुकी है. किसानों द्वारा एक साल से देश के विभिन्न हिस्सों में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किए गए लगातार विरोध प्रदर्शनों के बाद आख़िरकार सरकार को इन्हें वापस लेने का निर्णय लेना ही पड़ा.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि क़ानून वापस लिए जाने के निर्णय को वोट के लिए लिया गया फ़ैसला बताया और कहा कि सैकड़ों किसानों की मौत के आगे झूठ की माफ़ी नहीं चलेगी.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आंदोलन के एक साल पूरे होने के अवसर पर 26 नवंबर और इसके बाद देशभर में आंदोलन को व्यापक रूप से धार दी जाएगी. 29 नवंबर से इस संसद सत्र के अंत तक 500 चुनिंदा किसान शांतिपूर्वक और पूरे अनुशासन के साथ ट्रैक्टर से हर दिन संसद तक जाएंगे.