तय समय से पहले सेवानिवृत किए गए एनसीएलएटी के अध्यक्ष जस्टिस अशोक इकबाल सिंह चीमा की याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि केंद्र के पास न्यायाधिकरण सुधार क़ानून के तहत सेवाओं को समाप्त करने की शक्ति है. इस पर सीजेआई रमना ने कहा कि अदालत इस पर रोक लगा सकती है.
केंद्र द्वारा विभिन्न न्यायाधिकरणों में नियुक्ति की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोष जताने पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार के पास चयन समिति की अनुशंसा स्वीकार न करने की शक्ति है. इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार को ही अंतिम फ़ैसला करना है, तो प्रक्रिया की शुचिता क्या है.
केंद्र ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण और सशस्त्र बल अधिकरण में विभिन्न पदों के लिए नियुक्ति की है. ये नियुक्तियां ऐसे समय में भी हुई हैं जब सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए चिंता जताई है कि केंद्र सरकार कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहे न्यायाधिकरणों में नियुक्ति न करके उन्हें ‘निष्क्रिय’ कर रही है.
कई महत्वपूर्ण न्यायाधिकरणों और राष्ट्रीय कंपनी लॉ न्यायाधिकरण, ऋण वसूली न्यायाधिकरण, दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील अधिकरण जैसे अपीलीय न्यायाधिकरणों में लगभग 250 पद ख़ाली हैं.