लोकसभा ने तीन तलाक़ विधेयक को मंज़ूरी दी

मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक में तीन तलाक़ को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखते हुए तीन वर्ष तक कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

तीन तलाक़ को प्रतिबंधित करने से संबंधित विधेयक लोकसभा में पेश

कुछ लोकसभा सदस्यों ने विधेयक पर आपत्ति जताई लेकिन उन्हें ख़ारिज करते हुए सरकार ने कहा कि यह विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे के तहत है.

तीन तलाक़ पर केंद्र का प्रस्ताव महिला अधिकारों और संविधान के ख़िलाफ़: पर्सनल लॉ बोर्ड

बोर्ड ने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक बात है कि केंद्र सरकार ने इस विधेयक का मसौदा तैयार करने से पहले किसी भी मुस्लिम संस्था या किसी भी मुस्लिम विद्वान से कोई राय-मशविरा नहीं किया.

‘तीन तलाक़ को सियासी हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए’

मुस्लिम महिला कार्यकर्ताओं ने कहा, प्रस्तावित क़ानून में तीन तलाक़ के साथ निकाह, हलाला और बहुविवाह भी शामिल हो. सभी दल मिलकर मुस्लिम महिलाओं के मुद्दों का समाधान करें.

सरकारी अफ़सरान हों या मुंसिफ़, ख़ुद को सामाजिक नैतिकता का प्रहरी मान बैठते हैं

व्यक्ति कुछ मौलिक अधिकारों से संपन्न है. संविधान इन अधिकारों की निशानदेही कर राज्य को बताता है कि वह व्यक्ति के जीवन में कहां हस्तक्षेप नहीं कर सकता.

कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी जारी है एक बार में तीन तलाक़, सामने आए पांच मामले

एक बार में तीन तलाक़ को कोर्ट द्वारा असंवैधानिक क़रार देने के बाद उत्तर प्रदेश से चार और मध्य प्रदेश से एक मामला सामने आया है.

‘महिलाएं पंडितों और मौलानाओं के हाथों की कठपुतली बनी हुई हैं’

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक़ कहने को असंवैधानिक क़रार दिया. अदालत के फैसले पर आम मुस्लिम महिलाओं से बातचीत.

तीन तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ क्यों है जमीयत उलेमा-ए-हिंद?

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक बार में तीन तलाक़ कहने पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए मानने से इनकार किया.

पितृसत्ता को चुनौती देने वाले समाज सुधार आंदोलनों को मज़बूत बनाना ज़रूरी

पितृसत्ता का प्रभाव देश के ज़्यादातर नागरिकों पर ही नहीं, बल्कि सरकार, प्रशासन और न्यायपालिका जैसे संस्थान भी इसके असर से बचे हुए नहीं हैं, जिन पर लैंगिक न्याय स्थापित कराने का दायित्व है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 104: तीन तलाक़ और 2022 में अच्छे दिन का वादा

जन गण मन की बात की 104वीं कड़ी में विनोद दुआ तीन तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले और प्रधानमंत्री मोदी के वादों पर चर्चा कर रहे हैं.

तीन तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोदी ने बताया ऐतिहासिक

कांग्रेस ने भी शीर्ष अदालत केे फैसले का स्वागत किया और कहा कि भेदभाव को दूर करने और महिलाओं का अधिकार बहाल करने की दिशा में यह निर्णय बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा.

तीन तलाक़ के अलावा इस्लाम में अलग होने के और भी तरीके हैं

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीन तलाक़ को असंवैधानिक घोषित कर दिया है. इस्लाम में तीन तलाक़ केे अलावा संबंध विच्छेद के और भी तरीके प्रचलन में हैं.