साल 2018 में राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं और बीते सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के पत्रकारों को धमकी देने के बाद से इसमें इज़ाफ़ा हुआ है. 2020 में पत्रकारों पर हमले के 17 मामले दर्ज किए हुए जबकि 2021 में अब तक ऐसे सात मामले दर्ज किए गए हैं.
बीते चार मई को स्थानीय व्यापारी के साथ संबंध की अफ़वाहों को लेकर ग्रामीणों द्वारा अपमानित और मारपीट के बाद एक महिला ने आत्महत्या कर ली थी. इसके क़रीब दो सप्ताह बाद अवसाद से जूझ रहे उनके पति ने भी आत्महत्या कर ली. हाईकोर्ट ने एसआईटी का गठन करते हुए दोनों मामलों की जांच रिपोर्ट देने को कहा है.
लेफ्ट फ्रंट के संयोजक बिजन धर ने अगरतला में हुए कुछ हमलों को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी थीं, जिसके बाद त्रिपुरा पुलिस ने उन पर कथित तौर पर हिंसा भड़काने के लिए मामला दर्ज किया है. धर के अलावा माकपा के पूर्व सांसद जितेंद्र चौधरी और विधायक भानु लाल साहा के ख़िलाफ़ भी उनकी कई पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज हुई है.
2018 में राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से त्रिपुरा के वरिष्ठ पत्रकार समीर धर के आवास पर हुआ यह इस तरह का तीसरा हमला है. आरोप है कि पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब देव द्वारा सार्वजनिक बैठक में मीडिया को धमकाने के बाद से पत्रकारों पर इस तरह के हमले तेज़ हुए हैं.
त्रिपुरा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देबबर्मा की अगुवाई वाले ‘टीआईपीआरए मोठा’ ने त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद चुनाव में 28 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की है. भाजपा को नौ सीटें मिली हैं, वहीं उसके सहयोगी दल आईपीएफटी के अलावा कांग्रेस और माकपा किसी भी सीट पर जीत दर्ज करने में नाकाम रहे.
आरोप है कि मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के ख़िलाफ़ सात अप्रैल को फेसबुक पर दो लोगों ने आपत्तिजनक पोस्ट की थी, जिसके बाद उन्हें अगले दिन गिरफ़्तार कर लिया गया था. इससे पहले भी मुख्यमंत्री के खिलाफ पोस्ट करने वाले कई लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
बीते शनिवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा था कि अमित शाह ने भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए पार्टी के नेताओं से कहा था कि भाजपा अन्य क्षेत्रीय देशों में ‘आत्मनिर्भर दक्षिण एशिया’ पहल के तहत शासन स्थापित करेगी और अब श्रीलंका और नेपाल में भी विस्तार करना है.
जनजाति संगठन इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ ट्विप्रा का कहना है कि उनकी पार्टी के चार कार्यकर्ताओं को पिछले साल दिसंबर में ढलाई ज़िले के गांडाचेरा से गिरफ़्तार किया गया था, उन पर बिना किसी सबूत के उग्रवादियों की मदद करने का आरोप लगाया गया है.
2014 में त्रिपुरा हाईकोर्ट द्वारा साल 2010 से विभिन्न चरणों में नियुक्त हुए 10,323 स्कूली शिक्षकों को भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों के चलते बर्ख़ास्त कर दिया था. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फ़ैसले को बरक़रार रखा. नौकरी खोने वाले शिक्षकों के संगठन क़रीब एक महीने से अगरतला में अनिश्चितकालीन धरने पर हैं.
पुलिस के अनुसार हमले में कोई पत्रकार घायल नहीं हुआ है. वहीं राज्य के एक मीडिया संगठन का कहना है कि यह हमला अचानक हुई घटना नहीं है बल्कि सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब देब के मीडिया को कथित तौर पर धमकाने के बाद राज्य भर में पत्रकारों पर हुए लगातार हमलों का हिस्सा है.
त्रिपुरा में भाजपा समर्थकों के एक समूह द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और त्रिपुरा प्रभारी विनोद सोनकर के सामने ‘बिप्लब हटाओ, भाजपा बचाओ’ का नारा लगाए जाने के बाद मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने 13 दिसंबर को जनसभा करने की बात कहते हुए कहा था कि जनता फैसला करे कि वह पद पर रहे या नहीं.
त्रिपुरा में भाजपा समर्थकों के एक समूह द्वारा पार्टी ऑब्ज़र्वर विनोद सोनकर के सामने ‘बिप्लब हटाओ, भाजपा बचाओ’ का नारा लगाए जाने के बाद मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने यह टिप्पणी की है. बीते अक्टूबर में भी असंतुष्ट भाजपा विधायकों के एक समूह ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात कर मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की थी. हालांकि बाद में उन्होंने इससे इनकार कर दिया था.
त्रिपुरा के गोमती ज़िले के उदयपुर में हिंदू जागरण मंच के सदस्यों ने प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग-8 को जाम कर दिया था. संगठन का कहना है कि पुलिस और प्रशासन जबरन धर्म परिवर्तन के ख़तरे को रोकने में विफल रहे हैं और अब केवल क़ानून ही आवश्यक सुरक्षा उपाय प्रदान कर सकता है.
मिज़ोरम से आए ब्रू प्रवासियों को त्रिपुरा में बसाने के विरोध में संयुक्त आंदोलन समिति उत्तरी त्रिपुरा ज़िले के पानीसागर में असम-अगरतला राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर प्रदर्शन कर रही थी, जब पुलिस ने बल प्रयोग और फायरिंग की. पुलिस का कहना है कि उनकी तरफ से आत्मरक्षा में गोली चलाई गई थी.
वर्ष 1997 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान ब्रू समुदाय के 30 हज़ार से अधिक लोग मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा के कुछ ज़िलों में बस गए थे. वापस मिज़ोरम लौटने से इनके इनकार के बाद त्रिपुरा सरकार ने तकरीबन 33,000 ब्रू लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की है.