लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे जलवायु एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने एक वीडियो जारी कर सवाल किया कि ट्रोल्स के पास उनके एनजीओ की 25 साल पुरानी जानकारी, जो सिर्फ उनके और गृह मंत्रालय के पास है, कैसे पहुंची.
अडानी समूह द्वारा एनडीटीवी में हिस्सेदारी खरीदने के बाद एनडीटीवी इंडिया के समूह संपादक रवीश कुमार ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि जनता को चवन्नी समझने वाले जगत सेठ हर देश में हैं. अगर वो दावा करें कि वे सही सूचनाएं देना चाहते हैं, तो अर्थ है कि वो अपनी जेब में डॉलर रखकर आपकी जेब में चवन्नी डालना चाहते हैं.
तनिष्क का विज्ञापन इस बात का संकेत है कि सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता की भारतीय भावना जीवित है. यह समय अपने खोल में छिपने और सिर झुकाकर चलने की जगह भारत के असली मूल्यों को दिखाने वाले विज्ञापन और फिल्में बनाने और धर्मांधों को यह दिखाने का है कि नफ़रत का उनका प्रोपगेंडा कामयाब नहीं होगा.
सोसाइटी के वॉट्सऐप ग्रुप में वो महिलाएं अमूमन घर-गृहस्थी से जुड़े मसले साझा किया करती थीं. पता नहीं ये कब और कैसे हुआ कि अपनी ज़िंदगी की तमाम फ़िक्रें छोड़ बॉलीवुड के नेपोटिज़्म को ख़त्म करना, सुशांत सिंह राजपूत के लिए न्याय मांगना और आलिया भट्ट को नेस्तनाबूद कर देना इन औरतों का मक़सद बन गया.
इंटरनेट पर ट्रोल्स की तादाद इतनी हो चुकी है कि लगता नहीं कि वे जल्दी यहां से जाने वाले हैं. लेकिन अगर उनकी चरित्रगत ग्रंथियां, उनके तरीके और तकनीकें समझ लें, तो अपनी मानसिक शांति और संतुलन खोए बिना उनके उत्पात और हमलों का सामना कर पाएंगे.
मुद्दा ये नहीं है कि आप किसका समर्थन करते हैं. आप बिल्कुल उन्हीं को चुने जिसका आपको मन है, लेकिन ये उम्मीद ज़रूर है कि आप अपने विवेक पर पर्दा न डालें.
विदेश मंत्री के लिए यह अच्छा अवसर था कि वे सामने आकर लगातार ट्विटर पर ट्रोलिंग का शिकार हो रही महिलाओं के प्रति अपना समर्थन जतातीं, लेकिन उनकी विनम्र प्रतिक्रिया दिखाती है कि उन्होंने ये अपमान का घूंट पी लिया है.
कांग्रेस नेता प्रियंका चतुर्वेदी के नाम से चल रहे एक फेक ट्वीट के जवाब में अभद्र टिप्पणी करने वाले इस व्यक्ति पर गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद पोक्सो सहित विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उन ट्रोल सेनानियों को सभ्य भाषा का प्रयोग करना सिखा रही हैं, जो 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद से ही महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को नितांत असभ्य ढंग से निशाना बनाते आ रहे हैं.
जन गण मन की बात की 268वीं कड़ी में विनोद दुआ कश्मीर और सोशल मीडिया पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ट्रोलिंग पर चर्चा कर रहे हैं.
पासपोर्ट विवाद के बाद सोशल मीडिया पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर हो रही अभद्र टिप्पणियों पर स्वराज के समर्थन में बोलने वाले राजनाथ सिंह एकमात्र मंत्री और भाजपा नेता हैं.
बीते दिनों से सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना कर रहीं मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट करते हुए कहा कि सभ्य भाषा में की गई आलोचना ज़्यादा असरदार होती है.
पासपोर्ट विवाद को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्विटर पर गाली-गलौज और बेहद अपमानजनक टिप्पणियों का सामना करना पड़ रहा है.
हिंदू-मुसलमान का एक्शन, ‘हिंदू खतरे में है’ का नाच, जेएनयू पर डायलॉग, संसद का सास-बहू, लव जिहाद का धोखा... पूरा देश समाचारों में एकता कपूर के सीरियल देख रहा है, वहीं भुखमरी, किसान आत्महत्या, बलात्कार, बेरोज़गारी, निर्माण और उत्पादकता का विनाश, महिला और दलित उत्पीड़न के बारे में नज़र आती है तो केवल... चुप्पी.
ऐसे लोग जिन्हें इंटरनेट की भाषा में ट्रोल कहा जाता है, प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ उन्हें फॉलो कर रहे हैं बल्कि उनकी 'प्रतिभा' को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं. कार्टूनिस्ट क्षितिज वाजपेई इसका सबसे ताज़ा उदाहरण हैं.