दिल्ली दंगे मामले में गिरफ़्तार छात्र कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इकबाल तन्हा को हाईकोर्ट से मिली ज़मानत को दिल्ली पुलिस ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले पर रोक लगाने से मना करते हुए स्पष्ट किया कि देश की अन्य अदालतें इस निर्णय को मिसाल के तौर पर दूसरे मामलों में इस्तेमाल नहीं करेंगी.
रिहा होने के बाद देवांगना कलीता ने कहा कि हम ऐसी महिलाएं हैं, जो सरकार नहीं डरती हैं. सरकार लोगों की आवाज़ और असहमति को दबाने की कोशिश कर रही है. नताशा नरवाल ने कहा कि हमें जेल के अंदर ज़बरदस्त समर्थन मिला है और हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे. आसिफ़ इक़बाल तन्हा ने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के ख़िलाफ़ लड़ाई जारी रहेगी.
बीते 15 जून को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा ज़मानत मिलने के लगभग 48 घंटे बाद भी छात्र कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ़ इक़बाल तन्हा जेल में हैं. इस बीच पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाकर दिल्ली हाईकोर्ट के ज़मानत आदेश पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले साल पांच अक्टूबर को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था. उन पर आरोप लगाया था कि हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के मद्देनज़र सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे. यूपी सरकार ने दावा किया था कि कप्पन पत्रकार नहीं, बल्कि अतिवादी संगठन पीएफआई के सदस्य हैं.
जेएनयू छात्राओं नताशा नरवाल और देवांगना कलीता और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा पर उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए सांप्रदायिक हिंसा के लिए साजिश रचने का आरोप है. तीनों को मई 2020 में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तार की गईं नताशा नरवाल के परिवार में अंतिम संस्कार करने के लिए कोई नहीं है. पिछले साल 22 फरवरी 2020 को दिल्ली के ज़ाफ़राबाद मेट्रो स्टेशन के बाहर नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ हुए एक प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर 23 मई 2020 को नरवाल को उनकी एक साथी देवांगना कलीता के साथ गिरफ़्तार किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को यूएपीए के आरोपों के तहत गिरफ़्तार केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को बेहतर इलाज के लिए राज्य से बाहर स्थानांतरित करने का निर्देश देते हुए कहा कि एक विचाराधीन क़ैदी को भी जीने का अधिकार है.
केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की पत्नी की ओर से लिखे गए पत्र में दावा किया गया है कि उन्हें मथुरा के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में जानवर की तरह खाट से बांधा गया है और न वे खाना खा पा रहे हैं और न ही पिछले चार दिनों से भी अधिक समय से टॉयलेट जा सके हैं. कप्पन को पिछले साल हाथरस जाते समय गिरफ़्तार किया गया था.
दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में गिरफ़्तार किए गए 'यूनाइटेड अगेंस्ट हेट' के ख़ालिद सैफ़ी का जेल से अपने परिवार को भेजा गया ख़त.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले साल पांच अक्टूबर को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था. यूपी सरकार ने कोर्ट में दाख़िल हलफ़नामे में दावा किया है कि सिद्दीक़ कप्पन पत्रकार नहीं, बल्कि अतिवादी संगठन पीएफआई के सदस्य हैं.
लोकसभा में केंद्र सरकार ने एक हालिया जवाब में बताया था कि साल 2016-2019 के बीच यूएपीए के तहत दर्ज मामलों में से केवल 2.2 फीसदी में सज़ा हुई है.
देश में 2017 से 2019 के बीच राष्ट्र विरुद्ध अपराधों के आरोप में प्रति वर्ष औसतन 8,533 मामले दर्ज किए गए. दुनिया का कोई देश अपने ही नागरिकों पर उसे नुकसान पहुंचाने के इतने केस दर्ज नहीं करता. अगर ये सब केस सच हैं तो दो बातें हो सकती हैं- या तो देश में असल में इतने गद्दार हैं, या देश के निर्माण में ही कोई मूलभूत गड़बड़ी है.
वीडियो: नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध हुए विरोध प्रदर्शनों में शामिल सफ़ूरा ज़रगर को यूएपीए के तहत मामला दर्ज कर गिरफ़्तार किया गया था. ये गिरफ़्तारी उस वक़्त हुई थी जब वह गर्भवती थीं. इसे लेकर उनकी गिरफ़्तार पर सवाल खड़े हुए. सफ़ूरा ज़रगर से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
गुजरात में सूरत की एक अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन यह साबित करने के लिए ठोस, विश्वसनीय और संतोषजनक साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहा कि आरोपी सिमी से जुड़े हुए थे और प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एकत्र हुए थे.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आरोप लगाया कि राज्य के भाजपा नेता मुरलीधरन के केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री बनने के बाद से ही राजनयिक सामान के जरिये सोने की तस्करी की शुरुआत हुई. इस पर मुरलीधरन ने कहा कि उन्हें पता होना चाहिए तस्करी के मामलों को देखना मेरा काम नहीं है. यह सीमा शुल्क विभाग का काम है, जो वित्त मंत्रालय के तहत आता है.