केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की वीआईपी सुरक्षा शाखा को यह ज़िम्मेदारी संभालने को कहा है और इसका एक दस्ता अब अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी के साथ है. केंद्र ने 2013 में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के अध्यक्ष मुकेश अंबानी को जे़ड प्लस श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव से भीड़ हिंसा और नफ़रत भरे भाषण जैसी अप्रिय स्थितियों को रोकने के लिए निवारक, सुधारात्मक और उपचारात्मक उपायों के संबंध में उसके पूर्व के दिशानिर्देशों के अनुपालन को लेकर राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से सूचना एकत्रित कर कोर्ट को इसकी जानकारी देने को कहा है.
स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, तिरप ज़िले में असम राइफल्स के जवान ने मछली पकड़कर घर लौट रहे युवकों पर आतंकवादी होने के संदेह में गोली चलाई. यह ज़िला आफ़स्पा के अंतर्गत आता है, जिसे लेकर दिसंबर 2021 में नगालैंड में सुरक्षाबलों की गोलाबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद से सवाल उठाए जा रहे हैं.
दिसंबर 2019 में संसद में पारित संशोधित नागरिकता अधिनियम अभी लागू नहीं हुआ है क्योंकि इसके तहत नियम बनाए जाने बाकी हैं. नियम बनाने के लिए गृह मंत्रालय अब तक पांच बार समय विस्तार मांग चुका है.
बीएसएफ़ को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के बजाय 50 किलोमीटर अंदर तक के क्षेत्र में तलाशी, ज़ब्ती और गिरफ़्तारी के लिए अधिकृत करने को लेकर केंद्र सरकार ने बीते अक्टूबर माह में बीएसएफ़ अधिनियम में संशोधन कर दिया था.
सीमा सुरक्षा बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी के बजाय 50 किमी अंदर तक के क्षेत्र में तलाशी, ज़ब्ती और गिरफ़्तारी के लिए अधिकृत करने को लेकर केंद्र ने हाल में बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया है.
पंजाब के बाद पश्चिम बंगाल दूसरा राज्य है, जहां विधानसभा में बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव में कहा गया है कि बीएसएफ का अधिकारक्षेत्र बढ़ाना देश के संघीय ढांचे के खिलाफ़ है क्योंकि क़ानून व्यवस्था राज्य सूची का विषय है.
पंजाब व पश्चिम बंगाल सरकार ने इस निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि यह संघवाद पर हमला है और राज्यों के अधिकारक्षेत्र में हस्तक्षेप करना है. पहले बीएसएफ को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के क्षेत्र में कार्रवाई का अधिकार था, अब गृह मंत्रालय ने इसे बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया है.
बीते दिनों लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद रॉय ने 'सार्वजनिक हित' का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज यूएपीए मामलों की जानकारी देने से मना कर दिया. हैरानी की बात यह है कि इस बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है. यह भी गौर करने योग्य है कि दिल्ली में इस कड़े क़ानून के तहत गिरफ़्तार 34 लोगों में अधिकांश धार्मिक अल्पसंख्यक हैं.
भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में तमाम अलोकतांत्रिक, अराजक, दमनकारी, उत्पीड़नात्मक तथा विभेदकारी कार्य किए, वह इनके विरोध में उनके ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेंगे. ठाकुर को गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुपालन में गत 23 मार्च को समय-पूर्व सेवानिवृत्ति दे दी गई थी.
पश्चिम बंगाल के कूच बिहार से भाजपा सांसद नीसिथ प्रमाणिक केंद्रीय गृह मंत्रालय में नए राज्यमंत्री बनाए गए हैं. प्रमाणिक द्वारा चुनावी हलफनामे और संसद को दी गई उनकी शैक्षणिक योग्यता संबंधित जानकारी में अंतर सामने आया है.
‘द शिलॉन्ग टाइम्स’ की संपादक पेट्रीसिया मुखिम और ‘कश्मीर टाइम्स’ की मालिक अनुराधा भसीन ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार को ‘परेशान करने के साथ ही बाधित करना’ जारी रखेगी. पत्रकारों ने कहा है कि औपनिवेशिक समय के दंडात्मक प्रावधान का इस्तेमाल पत्रकारों को डराने, चुप कराने और दंडित करने के लिए किया जा रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, राजद्रोह के इन मामलों में से 141 में आरोप-पत्र दायर किए गए, जबकि छह साल की अवधि के दौरान इस अपराध के लिए महज छह लोगों को दोषी ठहराया गया. सबसे अधिक 54 मामले असम में दर्ज किए गए, लेकिन एक भी मामले में किसी को दोषी नहीं ठहराया गया. मंत्रालय ने अभी तक 2020 के आंकड़े एकत्रित नहीं किए हैं.
पश्चिम बंगाल के कूच बिहार से भाजपा सांसद नीसिथ प्रमाणिक को हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है. उन्होंने अपने हलफ़नामे में बताया था कि उनकी सर्वोच्च शैक्षणिक योग्यता माध्यमिक परीक्षा है, लेकिन लोकसभा की वेबसाइट पर बैचलर्स ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन दर्ज है.
पाकिस्तान ने 2015 में भारत को उसकी जेल में बंद इन 17 लोगों के बारे में बताया था, जिन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है, लेकिन उन्हें वापस भारत नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण उन्हें अपने पते-ठिकाने के बारे में कुछ याद नहीं है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ इनकी जानकारी साझा की गई थी, लेकिन इनमें से किसी के बारे में छह साल बाद भी कुछ पता नहीं चल सका