जून के आख़िर में स्वीडन में क़ुरान जलाने की घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने धार्मिक नफ़रत का मुक़ाबला करने के लिए मसौदा प्रस्ताव अपनाया है. भारत ने इसके पक्ष में मतदान किया है. हालांकि भारत ने क़ुरान जलाने पर अलग से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही कोई निंदा की है.
रूसी सैनिकों द्वारा यूक्रेन के बुचा शहर में की गई नागरिकों की हत्याओं की तस्वीरें एवं वीडियो सामने आने के बाद अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने का अभियान शुरू किया था. रूस के ख़िलाफ़ वोटिंग में मौजूद नहीं रहने पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि यदि भारत ने कोई पक्ष लिया है तो वह है शांति और हिंसा को तत्काल समाप्त करना है.
शुरुआत में भारत ने नव-उपनिवेशवाद और इज़राइल द्वारा फ़िलिस्तीनी ज़मीन के अतिक्रमण की मुखर तौर पर निंदा की, लेकिन यह विरोध धीरे-धीरे कम हो गया. भारत का रुख कमज़ोर हुआ क्योंकि इज़राइल के साथ आर्थिक और सैन्य संबंध जुड़ गए. अब ये रिश्ते हिंदुत्व व यहूदीवाद की लगभग समान विचारधारा पर फल-फूल रहे हैं.
ग़ाज़ा में इज़रायल और हमास के बीच 11 दिन तक चले संघर्ष के दौरान कथित उल्लंघनों एवं अपराधों की जांच शुरू करने के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर वोट डालने से भारत समेत 14 देश अनुपस्थित रहे. प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया क्योंकि 24 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला और नौ ने इसका विरोध किया. इज़रायल और हमास के बीच संघर्ष में ग़ाज़ा में लगभग 230 लोग और इज़रायल में 12 लोग मारे गए थे.
वर्ष 2000 में तमिल बहुल उत्तरी प्रांत में तैनाती के दौरान श्रीलंकाई सैनिक सुनील रत्नायके एक बच्चे समेत आठ नागरिकों की हत्या का आरोप लगाया गया था. 2015 में उच्च न्यायालय ने उन्हें हत्या का दोषी ठहराया था. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सैनिक की सज़ा माफ़ कर दी है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेत के प्रवक्ता जेरेमी लॉरेंस ने कहा कि भारत में नागरिकता प्रदान करने के व्यापक कानून अभी भी हैं, लेकिन ये संशोधन नागरिकता हासिल करने के लिए लोगों पर भेदभावपूर्ण असर डालेगा.
मणिपुर के नोनी जिले के ताज़ीकाइफुन गांव के रहवासियों का आरोप है कि मई के आखिरी हफ्ते में असम राइफल्स की 23वीं डिवीज़न ने एनएससीएन (आईएम) के कैंप पर छापा मारने के लिए 2 गांववालों को मानव ढाल के बतौर इस्तेमाल किया.
इज़रायल के ख़िलाफ़ भेदभाव का आरोप लगाते हुए संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा, ‘लंबे समय से मानवाधिकार परिषद मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों का संरक्षक रहा है और राजनीतिक भेदभाव का गढ़ बना रहा है.’