नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में विश्वविद्यालयों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों में 2016-17 और 2022-23 के बीच पूर्णकालिक पीएचडी पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्रों की संख्या में गिरावट आई है.
यह देखते हुए कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के प्रमोटर-इन-चीफ हैं, एनटीए की जांच करने वाली किसी भी समिति को उनकी और यूजीसी में उनकी भूमिका की भी जांच करनी चाहिए.
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को भेजे गए नोटिस में कहा है कि नेट स्कोर का इस्तेमाल पीएचडी प्रवेश के लिए किया जा सकता है. छात्रों का कहना है कि नेट पास करने के प्रमाणपत्र की वैधता पहले ही घटाकर एक वर्ष कर दी गई है. इससे कई आवेदकों को पीएचडी आवेदन करने का मौक़ा ही नहीं मिलेगा.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 2018 में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एंट्री-लेवल के पदों पर भर्ती के लिए जुलाई 2021 से पीएचडी को अनिवार्य कर दिया था. विरोध के बाद इसका कार्यान्वयन जुलाई 2023 तक के लिए स्थगित कर दिया था.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क पर अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वेदों और पुराणों सहित भारतीय ज्ञान प्रणाली के विभिन्न पहलुओं में विशेषज्ञता रखने पर छात्रों को क्रेडिट दिया जाएगा. यह कक्षा 5 से पीएचडी स्तर तक सीखने के घंटों के आधार पर सौंपे गए क्रेडिट को कवर करेगा.