उत्तर प्रदेश ‘लव जिहाद’ क़ानून के तहत ‘पहली सज़ा होने वाली ख़बरें’ फ़र्ज़ी हैं

फैक्ट चेक: कानपुर की एक स्थानीय अदालत द्वारा हाल ही में बलात्कार के एक मामले में दिए गए फ़ैसले को मीडिया द्वारा 'लव जिहाद' क़ानून के तहत हुई पहली सज़ा के रूप में प्रसारित किया जा रहा है, जो ग़लत दावा है. यह मामला साल 2017 का है, जबकि यह क़ानून साल 2020 में लागू हुआ था.