कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल जून में लैटरल एंट्री तरीके से संयुक्त सचिव स्तर के पदों पर नियुक्ति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले निजी क्षेत्र के लोगों से आवेदन मांगे थे.
आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी आरक्षण के तहत नियुक्त होने वाले प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की संख्या शून्य, सहायक प्रोफेसर के स्तर पर ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व लगभग आधा.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने पिछले तीन वर्षों में मुख्य एजेंसियों द्वारा भर्ती के आंकड़े इकट्ठा किए हैं जिससे ये पता चलता है कि साल 2015 में कुल 1,13,524 कैंडिडेट का चयन और नियुक्ति हुआ था. जबकि 2017 में ये आंकड़ा गिरकर 1,00,933 पर आ गया.
केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक जनवरी 2018 की स्थिति के अनुसार आईएएस श्रेणी में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 6553 है जबकि आईपीएस श्रेणी में यह संख्या 4940 है.
ज़्यादातर वरिष्ठ नौकरशाहों का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार को लैटरल एंट्री के संबंध में और ज़्यादा स्पष्टीकरण देने की ज़रूरत है.
प्रशासनिक सुधार आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि यह जल्दबाज़ी में उठाया गया कदम है. मोदी सरकार की घोषणा में पारदर्शिता की कमी है. उसने लैटरल एंट्री की घोषणा की लेकिन कोई नीति पेश नहीं की.
लैटरल एंट्री को लेकर उठ रहे असुविधाजनक सवालों पर सरकार ने जो रुख अपना रखा है, उससे अभी से लगने लगा है कि यह व्यवस्था इतनी पारदर्शी नहीं होने जा रही कि इससे संबंधी सरकार की नीति और नीयत को सवालों से परे माना जा सके.
संयुक्त सचिव स्तर के दस पेशेवर लोगों को सरकार में शामिल करने का ख़्याल सरकार के आख़िरी साल में क्यों आया जबकि इस तरह के सुझाव पहले की कई कमेटियों की रिपोर्ट में दर्ज हैं.
हम भी भारत की 38वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी मोदी सरकार द्वारा संयुक्त सचिव स्तर के दस पदों के लिए बिना लोकसेवा आयोग की परीक्षा के नियुक्तियों के आवेदन आमंत्रित करने पर पूर्व आईएएस अधिकारी सुंदर बुर्रा और हार्ड न्यूज़ पत्रिका के संपादक संजय कपूर से चर्चा कर रही हैं.
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 13 फैकल्टी सदस्यों के पात्र नहीं होने के बावजूद उन्हें नियुक्त किया गया, जिसमें प्रिंसिपल ओम प्रकाश शुक्ला भी शामिल हैं. सीबीआई ने यूपीएससी और रक्षा मंत्रालय के संगठन आईडीएस के ख़िलाफ़ भी केस दर्ज किया.
क़ानून मंत्रालय द्वारा संसद की परामर्श समिति को भेजे एक दस्तावेज में कहा गया है कि ज़्यादातर उच्च न्यायालय चाहते हैं कि अधीनस्थ अदालतों पर उनका प्रशासनिक नियंत्रण बना रहे.
हमलावरों ने युवक की आंख और मुंह में रेत भरा. युवक के भाई ने लगाया आरोप, हमलावर इंटरव्यू में शामिल होने से रोकना चाहते थे.