वीडियो: 20 साल बाद तालिबान ने एक बार फिर अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया है, जिससे वहां के नागरिक दहशत में हैं और देश छोड़कर भाग रहे हैं. द वायर ने दिल्ली आए वहां के कई नागरिकों से बात की. इनमें से कई ऐसे भी थे, जिन पर तालिबान आतंकियों ने हमला किया था.
वीडियो: भारत ने अब तक तालिबान को लेकर कुछ नहीं कहा है. सरकार ने न काबुल में तालिबान के विरोध में कोई बयान दिया और न ही ऐसी कोई बात कही है, जिससे ज़ाहिर हो कि भारत भी रूस या चीन की तरह काबुल में तालिबान को क़बूल कर लेगा. भारत सरकार को इस बारे में अपना रुख़ स्पष्ट करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि यह सब कुछ हमारे अनुमान से कहीं ज़्यादा जल्दी हुआ. तो क्या हुआ? अफ़ग़ानिस्तान के नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए. अफ़ग़ान सेना पस्त हो गई और वो भी लड़ने की कोशिश किए बिना. पिछले हफ़्ते के घटनाक्रमों ने यह साबित कर दिया कि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सेना की भागीदारी को ख़त्म करना सही फ़ैसला है.
बीते 15 अगस्त को तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश करने के बाद से ही ‘अफ़ग़ानिस्तान नेशनल रेडियो और टेलीविजन’ (आरटीए) ने सीधा प्रसारण बंद कर कर्मचारियों को घर भेज दिया था. शमशाद टीवी और तोलो टीवी के सुरक्षा गार्डों को नि:शस्त्र कर दिया गया और तोलो टीवी का सीधा प्रसारण या कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं.
अधिकारियों ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल से भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान राष्ट्रीय राजधानी के पास स्थित हिंडन वायुसेना स्टेशन आने के क्रम में मार्ग में सुबह क़रीब 11:15 बजे गुजरात के जामनगर स्थित वायुसेना स्टेशन में उतरा. भारत ने अफ़ग़ान नागरिकों के लिए आपातकालीन ई-वीज़ा की घोषणा की. इस बीच भारत में रह रहे अफ़ग़ान छात्रों ने वीज़ा अवधि बढ़ाने की मांग की है.
वीडियो: अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के एयरपोर्ट के हालात भयावह हैं. तालिबान के डर से लोग अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर भाग रहे हैं. लोग अपनी जान बचाने के लिए चलते हुए विमान पर लटकने की कोशिश कर रहे हैं.
वीडियो: अफ़ग़ानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर ख़र्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने एक सप्ताह में लगभग पूरे देश पर क़ब्ज़ा कर लिया है. फ़िलहाल अमेरिका अपने बाकी बचे कर्मचारियों को निकालने में लगा हुआ है.
तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर क़ब्ज़ा कर लेने के बाद यहां तनाव का माहौल है. ज़्यादातर लोग अपने घरों में छिप गए हैं और बड़े-बड़े चौराहों पर तालिबान लड़ाके तैनात हैं. देश छोड़कर जाने वालों की भारी भीड़ काबुल एयरपोर्ट पर जमा है. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी ने कहा है कि वह काबुल छोड़कर इसलिए चले गए, ताकि वहां ख़ून-ख़राबा और बड़ी मानवीय त्रासदी न हो. भारत ने एयर इंडिया ने काबुल की एकमात्र उड़ान रद्द कर दी है और दो उड़ानों का रास्ता बदल दिया है.
अफ़ग़ानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर ख़र्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने एक सप्ताह में लगभग पूरे देश पर क़ब्ज़ा कर लिया है. फ़िलहाल अमेरिका अपने बाकी बचे कर्मचारियों को निकालने में लगा हुआ है. इस बीच देश के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के ताज़िकिस्तान में शरण लेने की सूचना है. देश में सत्ता हस्तानांतरण की प्रक्रिया जारी है. यह स्पष्ट नहीं है कि यह कब होगा और तालिबान में से कौन बातचीत कर रहा था.
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश के साथ ही तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि वो शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतज़ार कर रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अगर अफ़ग़ानिस्तान की सेना अपने देश पर नियंत्रण बनाए नहीं रख सकती या नहीं रखती है, तो भले ही एक और साल हो या पांच और साल, अमेरिकी सेना की उपस्थिति से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.
अफगानिस्तान से अमेरिका की पूरी वापसी में तीन सप्ताह से भी कम समय शेष बचा है और ऐसे में तालिबान ने उत्तर, पश्चिम और दक्षिण अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है. भारत सहित 12 देशों ने कहा है कि वे ऐसी किसी भी सरकार को मान्यता नहीं देंगे जो सैन्य बल के माध्यम से थोपी जाएगी.
भारतीय नेतृत्व के साथ बैठकों से पहले नागरिक संस्थाओं के साथ अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के सार्वजनिक कार्यक्रम में किसानों के प्रदर्शन, प्रेस की स्वतंत्रता, सीएए, अल्पसंख्यकों के अधिकार और चीन की आक्रमकता को लेकर चिंता व्यक्त की और अफगानिस्तान की स्थिति जैसे मुद्दे उठाए गए.
अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट ‘2021 इन्वेस्टमेंट क्लाइमेट स्टेटमेंट्सः इंडिया ‘में जम्मू कश्मीर के विशेष संवैधानिक दर्जे को समाप्त करने और नागरिकता संशोधन क़ानून पारित करने का भी उल्लेख किया है.
पाकिस्तान में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत नजीबुल्लाह अलीखिल की 26 वर्षीय बेटी को पांच से अधिक घंटे तक बंधक बनाए रखा गया. इस स्तब्धकारी घटना के मामले में फ़िलहाल किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है. अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मामले की तत्काल जांच की मांग की है.
अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी का जवाब देते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में उथल-पुथल से सबसे ज़्यादा प्रभावित देश पाकिस्तान है. उन्होंने कहा कि वह ग़नी की टिप्पणियों से मायूस हैं और तालिबान को बातचीत की मेज पर लाने के लिए पाकिस्तान ने जितनी कोशिशें की हैं, उतनी किसी भी मुल्क ने नहीं की हैं.