इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान द्वारा दिया गया अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी धार्मिक मान्यताओं को चुनने, पालन करने की स्वतंत्रता है. हालांकि, इस अधिकार को दूसरों को अपने धर्म में परिवर्तित करने के हक़ के रूप में नहीं देखा जा सकता.
फैक्ट चेक: कानपुर की एक स्थानीय अदालत द्वारा हाल ही में बलात्कार के एक मामले में दिए गए फ़ैसले को मीडिया द्वारा 'लव जिहाद' क़ानून के तहत हुई पहली सज़ा के रूप में प्रसारित किया जा रहा है, जो ग़लत दावा है. यह मामला साल 2017 का है, जबकि यह क़ानून साल 2020 में लागू हुआ था.