सामाजिक न्याय के इच्छुक जाति समूहों का एक बड़ा मध्यवर्ग तैयार है, जो सामूहिक रूप से निर्णायक स्थिति में है. ज़रूरत है इनके नेतृत्व और सहयोग से सामाजिक न्याय को दूसरे चरण तक ले जाने की, वरना राजनीति का दूसरा पक्ष पहले से ही तैयार है.
विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बसपा में शामिल हुए शमी इससे पहले सपा और कांग्रेस में भी रह चुके थे. उन्होंने राजा भैया के भी खिलाफ चुनाव लड़ा था.
एक गैर सरकारी संगठन ने अपने सर्वेक्षण में दावा किया है कि इस बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में नोट के बदले वोट लेेने के लिए उम्मीदवारों ने तकरीबन एक हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए.
रायबरेली के रहने वाले मनफीक ख़ान कहते हैं, ‘कोउ नृप होय हमें का हानि. मुख्यमंत्री कोई भी बने कमाकर ही खाना है तो मुख्यमंत्री कोई राजा बने, योगी बने, शर्मा बने या ख़ान बने कुछ भी फ़र्क नहीं पड़ता है. भाजपा जीती है, उसका मन जिसे करे उसे मुख्यमंत्री बनाए.’
पूर्वांचल में गहरी पैठ रखने वाले और हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक योगी आदित्यनाथ रविवार को उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे
राहुल गांधी के उपाध्यक्ष बनने के बाद से कांग्रेस को 24 चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है. पार्टी की हालत यह हो गई है कि इसके साथ गठबंधन करने वाले दलों की भी लुटिया डूब जा रही है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथमदृष्टया गड़बड़ी के पुख़्ता सबूत मिले हैं. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि वे ईवीएम से छेड़छाड़ के मामले को लेकर अदालत जाएंगी.
एक महिला से सामूहिक बलात्कार और उसकी बेटी से छेड़खानी के आरोपी सपा नेता गायत्री प्रजापति को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें पोस्को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नैतिक शुद्धिकरण’ प्रोजेक्ट ने जाति की दीवारों को तोड़ने और एक व्यापक सामाजिक गठजोड़ तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई है.
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके राजनीतिक समर्थन हासिल करने में मिली भाजपा की कामयाबी को अगर शासन के आदर्श के तौर पर स्वीकार कर लिया जाता है, तो आनेवाला समय देश के लिए अंधकारमय हो सकता है.
भले ही जनता ने मोदी को विधानसभा में प्रचंड बहुमत दे दिया है लेकिन लोकसभा की तरह उसे यहां भी निराश होना पड़ेगा. वजह साफ है कि न तो मोदी के पास कोई बड़ी दृष्टि है और न ही उनके पास स्थितियों को समझने का धैर्य.
हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा ऐसे माहौल में समाज में सांप्रदायिक भय खड़ा करता है. हिंसा का भय 1984 के चुनाव में राजीव गांधी के रणनीतिकारों ने भी खड़ा किया था. तब राजीव गांधी ने भी जीत का कीर्तिमान बनाया था. यह कीर्तिमान अब मोदी-शाह ने बनाया है.
अगर भाजपा जातियों के अंतर्विरोधों और संसाधनों में हिस्सेदारी की मार-काट को काबू में रख सकी तो जब तक मोदी का नाम चलेगा, ये वोट बैंक भी चलेगा.
कुछ विश्लेषकों का मानना था कि बसपा इस चुनाव में डार्क हॉर्स साबित होगी. पार्टी का आधार वोट बैंक दलित और मुस्लिम मतदाता मिलकर उसे भारी जीत दिलाएंगे.
अमित शाह ने जीत के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस, नरेंद्र मोदी को बताया आज़ादी के बाद भारत का सबसे लोकप्रिय नेता.