ईद-उल-अजहा के अवसर पर हरिद्वार में पशु वध पर पूर्ण प्रतिबंध के आदेश पर रोक

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार ज़िले की मंगलौर नगरपालिका के एक बूचड़खाने में 10 जुलाई को ईद-उल-अजहा के लिए जानवरों के वध की अनुमति दे दी. बीते साल कुंभ मेले से पहले राज्य की भाजपा सरकार ने ज़िले के शहरी स्थानीय निकायों को ‘बूचड़खाना मुक्त क्षेत्र’ घोषित कर इन्हें संचालित करने के लिए जारी की गई मंज़ूरी को रद्द कर दिया था.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चारधाम मार्ग पर घोडे़-खच्चरों की मौत पर नोटिस जारी किया

एक पशु अधिकार कार्यकर्ता ने अपने याचिका में कहा है कि उत्तराखंड में श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रा कराने में करीब 20 हज़ार घोड़ों एवं खच्चरों का उपयोग किया जा रहा है. श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के अतिरिक्त दवाब के कारण इन पशुओं की मौत हो रही है. याचिका में कहा गया ​है कि अब तक 600 घोड़ों एवं खच्चरों की मृत्यु हो चुकी है.

धर्म संसद: मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण देने के आरोपी जितेंद्र त्यागी को अंतरिम ज़मानत

सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार धर्म संसद में मुसलमानों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर नफ़रत फैलाने वाला भाषण देने के मामले में आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी को तीन महीने की अंतरिम ज़मानत देते हुए उन्हें नफ़रत फैलाने वाला भाषण नहीं देने और इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल या सोशल मीडिया पर कोई टिप्पणी न करने का वादा करते हुए एक हलफ़नामा दाख़िल करने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों के आयोजन पर चिंता जताई

सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के मामले में इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने वाले जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिज़वी की ज़मानत याचिका पर उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया. त्यागी लगभग छह महीने से हिरासत में हैं. इस मामले के एक अन्य आरोपी क​ट्टरपंथी हिंदुत्तवादी धर्मगुरु यति नरसिंहानंद को बीते फरवरी माह में ही ज़मानत मिल गई थी.

जस्टिस सुधांशु धुलिया, जस्टिस बी. परदीवाला को सुप्रीम कोर्ट भेजने की कॉलेजियम की सिफ़ारिश

जस्टिस सुधांशु धुलिया उत्तराखंड हाईकोर्ट के दूसरे न्यायाधीश होंगे, जिन्हें पदोन्नत करके शीर्ष अदालत भेजा जाएगा, जबकि जस्टिस बी. परदीवाला पारसी समुदाय से सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचने वाले चौथे न्यायाधीश होंगे.

कोर्ट ने हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से पूछा- रैगिंग की घटना पर केस क्यों नहीं दर्ज कराया

उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज परिसर में छात्रों का सिर मुंडाए और पीछे बंधे हुए हाथ के साथ एक कतार में चलने का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था. जिसे वरिष्ठ छात्रों द्वारा की गई रैगिंग बताया गया था. वीडियो सामने आने के बाद एक जनहित याचिका दायर की थी. उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति ने जांच रिपोर्ट में पुष्टि की कि याचिकाकर्ता के आरोप सही थे.

हरिद्वार धर्म संसदः हेट स्पीच मामले के आरोपी जितेंद्र त्यागी की ज़मानत याचिका ख़ारिज

उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में नफ़रत भरे भाषण देने के मामले में गिरफ़्तार जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिज़वी की ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए अदालत ने कहा कि त्यागी के भाषण की भाषा भड़काऊ थी, जिसका उद्देश्य युद्ध छेड़ना, आपसी दुश्मनी को बढ़ावा देना और पैगंबर मुहम्मद का अपमान करना था.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग से पूछा, क्या डिजिटल रैलियां/ऑनलाइन मतदान संभव है

एक जनहित याचिका में उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रॉन के कारण इसके बढ़ते मामलों के मद्देनज़र स्थगित करने का अनुरोध किया गया है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग से डिजिटल रैलियों जैसे वैकल्पिक तरीकों के बारे में सोचने के लिए कहा है.

‘मनमाने’ तरीके से एफआईआर ख़ारिज कर रहे हैं इलाहाबाद और उत्तराखंड हाईकोर्ट: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने हत्या के एक मामले में प्राथमिकी रद्द करने की याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध अपील पर सुनते हुए यह टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में दिए उनके आदेश के बावजूद इलाहाबाद और उत्तराखंड हाईकोर्ट ‘विवेक का इस्तेमाल किए बगैर’ ही एक के बाद एक ऐसे आदेश दे रहे हैं.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार ज़िले में बूचड़खानों पर लगी रोक पर उठाया सवाल

इस साल मार्च में उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार ज़िले को बूचड़खानों से मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया था और बूचड़खानों के लिए जारी अनापत्ति पत्रों को भी रद्द कर दिया था. अदालत ने कहा कि सभ्यता का आकलन केवल इस बात से किया जा सकता है कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है और हरिद्वार में इस पाबंदी से सवाल उठता है कि राज्य किस हद तक नागरिकों के विकल्पों को तय कर सकता है.

सरकार अदालत को मूर्ख बनाना बंद करे और ज़मीनी सच्चाई बताए: उत्तराखंड हाईकोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर से मुक़ाबला करने के लिए राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये पर फटकार लगाते हुए कहा कि जहां महामारी के दौरान युद्ध स्तर पर काम करने की आवश्यकता है, वहीं प्रक्रियाओं में देरी के लिए नौकरशाही बाधाएं पैदा की जा रही हैं.

उत्तराखंड: हाईकोर्ट का आदेश, राज्य में कोविड की दूसरी लहर में हुई मौतों का ऑडिट करे सरकार

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध वेंटिलेटर और आईसीयू उपकरणों का ऑडिट कराया जाए ताकि पता चल सके कि कितने वेंटिलेटर और उपकरण इस्तेमाल नहीं हुए और इसकी क्या वजह है. अदालत ने सरकार से कोविड जांच में कथित अनियमितताओं पर भी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

कुंभ 2021: आलोचनाओं के बाद सरकार ने कहा- 49 लाख नहीं केवल 21 लाख लोग शामिल हुए

उत्तराखंड में हुए हालिया कुंभ मेले के पुलिस महानिरीक्षक ने बताया है कि वहां 12 अप्रैल को इक्कीस लाख, 13 अप्रैल को क़रीब तीन लाख और 14 अप्रैल को लगभग बारह लाख श्रद्धालु एकत्र हुए थे. यह संख्या राज्य सरकार द्वारा इससे पहले दिए इन तीन दिनों के कुल आंकड़े 49 लाख से काफ़ी कम है.

बद्रीनाथ-केदारनाथ में कोविड नियम उल्लंघन पर कोर्ट ने कहा, हम शर्मिंदगी का कारण क्यों बन रहे

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी उन वीडियो के आधार पर की, जिसमें ये देखा जा सकता है कि चार धामों में से दो- बद्रीनाथ और केदानाथ में बड़ी संख्या में साधू/पुजारी कोरोना नियमों को उल्लंघन करते हुए घूम रहे हैं. इसके साथ ही अदालत ने राज्य के दूरदराज़ के इलाकों में रह रहे लोगों की चिकित्सकीय ज़रूरतों पर ध्यान नहीं देने के लिए केंद्र की खिंचाई करते हुए कहा कि वह पर्वतीय प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है.

उत्तराखंड: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकारा, पूछा- साल भर में भी महामारी के लिए तैयार क्यों नहीं

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कोविड के बीच राज्य में धार्मिक आयोजन करने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि नागरिकों का जीवन सुरक्षित रखना राज्य का पहला दायित्व है. हम एक अदृश्य दुश्मन से विश्वयुद्ध लड़ रहे हैं और हमें अपने सभी संसाधन लगा देने चाहिए.