चूंकि सरकार ने किसी ऐसे अधिकारी को उपलब्ध नहीं कराया, जो केंद्र इस फ़ैसले पर प्रेस के सवालों का जवाब दे सके, इसलिए यहां वो दस सवाल हैं, जिनका स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए.
एम्स के वरिष्ठ महामारी रोग विशेषज्ञ व वयस्कों और बच्चों पर कोवैक्सीन टीके के परीक्षणों के प्रधान जांचकर्ता डॉक्टर संजय के. राय ने कहा कि किशोरों के वैक्सीनेशन के निर्णय पर अमल से पहले बच्चों का टीकाकरण शुरू कर चुके देशों के आंकड़ों का विश्लेषण करना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी घोषणा की कि 10 जनवरी से स्वास्थ्य व अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों, अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित 60 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों को डॉक्टरों की सलाह पर एहतियात के तौर पर टीकों की खुराक दिए जाने की शुरुआत की जाएगी. हालांकि इस दौरान उन्होंने बूस्टर डोज़ का जिक्र न करते हुए इसे प्रीकॉशन डोज़ का नाम दिया.
कोविड-19 का टीका लगाए जाने के बाद प्रतिकूल प्रभावों (एईएफआई) का अध्ययन करने वाली राष्ट्रीय समिति ने माना है कि 68 साल के एक व्यक्ति को बीते मार्च में को टीका लगाया गया था, जिसके बाद गंभीर एलर्जी (एनाफिलैक्सिस) होने से उनकी मृत्यु हो गई. हालांकि समिति ने कहा कि कोविड-19 से मौत के ज्ञात जोख़िम की तुलना में टीकाकरण से मृत्यु का जोख़िम नगण्य है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि 82 फ़ीसदी स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस टीके की सिर्फ़ एक डोज़ लगी है, जबकि 56 फ़ीसदी को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग चुकी है. इसी तरह 85 फ़ीसदी फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके की एक, जबकि 47 फ़ीसदी को दोनों डोज़ लगी है.
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले में नेपाल से लगे बढ़नी प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र का मामला. मुख्य चिकित्सा अधिकारी घटना को स्वीकार करते हुए कहा कि जिन लोगों को वैक्सीन लगाई गई, उनमें से किसी में भी अभी तक कोई समस्या देखने को नहीं मिली है. ज़िम्मेदार लोगों से स्पष्टीकरण मांगा गया है. दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
अमेरिका की केंडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा था कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर आर्थिक सुधारों में देरी कर सकती है, लेकिन पटरी से उतार नहीं सकती है. हालांकि अब इसने लंबी रुकावट के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे एक पत्र में कहा कि सीरम इंस्टिट्यूट की ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ दोनों सुरक्षित हैं और इन्हें लेकर ग़लत सूचनाएं फैलाने वालों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई की जाए.
मामला बर्द्धमान-दुर्गापुर क्षेत्र का है, जहां कोरोना का टीका लगाए जाने के पश्चात कुछ लोगों की तबीयत बिगड़ी. राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक लोगों के बीमार होने के कारणों और टीकाकरण से इसके संबंध की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन टीकाकरण अभियान रोक दिया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस पर सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा है कि अगले कुछ हफ़्तों में वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएगी और वैज्ञानिकों की मंज़ूरी के बाद जल्द से जल्द टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.