भीमा-कोरेगांव और एल्गार परिषद मामले में कुछ आरोपियों की पैरवी कर रहे वकील ने कहा है कि अदालत ने मई 2022 में आरोपियों को उनके ख़िलाफ़ जुटाए गए सबूतों की सभी क्लोन कॉपी प्रदान करने का निर्देश एनआईए को दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी केवल 40 फीसदी कॉपी ही साझा की गई हैं.
अमेरिकी सुरक्षा शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके हाथ ऐसे सबूत लगे हैं जो बताते हैं कि पुणे पुलिस के तार एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ता रोला विल्सन, वरवरा राव और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू के ईमेल खातों की हैकिंग से जुड़ते हैं.
एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी कवि वरवरा राव को पांच सितंबर को तालोजा जेल अधिकारियों के समक्ष समर्पण करना है. वह इस साल फरवरी में अदालत द्वारा दी गयी अंतरिम चिकित्सा ज़मानत पर हैं. उन्होंने ख़राब स्वास्थ्य और उच्च ख़र्चों का हवाला देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट से अपनी ज़मानत अवधि बढ़ाने और हैदराबाद में अपने आवास में स्थानांतरित करने की अनुमति मांगी है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते 22 फरवरी को मेडिकल आधार पर 82 वर्षीय वरवरा राव को छह महीने की अंतरिम ज़मानत दी थी. अदालत ने कहा था कि अस्पताल से छुट्टी मिलते ही राव को तुरंत जेल से रिहा कर दिया जाए.
भीमा कोरेगांव मामले में जून 2018 में गिरफ़्तार किए गए 81 वर्षीय वरवरा राव लंबे समय से बीमार चल रहे हैं. उन्हें मेडिकल आधार पर ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि ऐसा न करना मानवाधिकार की रक्षा के उसके कर्तव्य और नागरिकों के जीवन व स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार से विमुख होने जैसे होगा.
जून 2018 में एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार 82 वर्षीय तेलुगु कवि वरवरा राव इस समय नानावती अस्पताल में भर्ती हैं. मेडिकल आधार पर उन्हें ज़मानत देने की याचिका ख़ारिज करने का अनुरोध करते हुए मामले की जांच कर रहे एनआईए में कहा कि उनकी हालत स्थिर है.
इज़रायल में भारतीय राजदूत को भेजे गए पत्र में वहां के कवियों के एक समूह ने तेलुगु कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए कहा कि राव अपने साहसी शब्दों की वजह से कई बड़े कॉरपोरेट, शक्तिशाली और भ्रष्ट नेताओं के दुश्मन बन गए हैं.
तेलुगू कवि एवं कार्यकर्ता वरवरा राव के वकील का कहना है कि राव को किडनी समेत कई बीमारियां हैं. उन्हें एल्गार परिषद मामले में 28 अगस्त 2018 को गिरफ़्तार किया गया था.
तेलुगू कवि एवं कार्यकर्ता वरवरा राव की बिगड़ती हालत को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अदालत को बताए बिना उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा. 81 वर्षीय राव को एल्गार परिषद मामले में 28 अगस्त 2018 को गिरफ़्तार किया गया था.
मेडिकल जांच के आधार पर बॉम्बे हाईकोर्ट ये फैसला लेगा कि तेलुगू कवि एवं कार्यकर्ता वरवरा राव को जेल से अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा या नहीं. 81 वर्षीय राव को एल्गार परिषद मामले में 28 अगस्त 2018 को गिरफ़्तार किया गया था.
81 वर्षीय तेलुगू कवि एवं कार्यकर्ता वरवरा राव को एल्गार परिषद मामले में 28 अगस्त 2018 को गिरफ़्तार किया गया था. उनकी पत्नी ने याचिका में कहा है कि राव की तबीयत बहुत ख़राब है, जिसके कारण उनकी लगातार देखभाल की ज़रूरत है.
81 वर्षीय तेलुगू कवि एवं कार्यकर्ता वरवरा राव को एल्गार परिषद मामले में 28 अगस्त 2018 को गिरफ़्तार किया गया था. उनकी पत्नी ने याचिका में कहा है कि राव की तबीयत बहुत ख़राब है, जिसके कारण उनकी लगातार देखभाल की ज़रूरत है.
सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख़ कर ज़मानत का अनुरोध करते हुए कहा था कि वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की वजह से जेल में उनके कोरोना संक्रमित होने का जोख़िम है, क्योंकि जेल में कोरोना संक्रमण का मामला सामने आ चुका है.
भीमा कोरेगांव मामले में 2018 से जेल में बंद 81 साल के राव तलोजा जेल में कोरोना संक्रमित होने के बाद 16 जुलाई से से अस्पताल में भर्ती हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने वरवरा राव के परिवार के सदस्यों को मुंबई के नानावती अस्पताल में उनसे मिलने की मंज़ूरी दी है. 81 साल के राव तलोजा जेल में कोरोना संक्रमित होने के बाद से अस्पताल में भर्ती हैं.