बिहार शिक्षा विभाग ने 28 फरवरी को एक समीक्षा बैठक बुलाई थी, जिसमें केवल दो विश्वविद्यालयों ने अपने प्रतिनिधि भेजे और 13 राज्य विश्वविद्यालयों के किसी भी कुलपति ने भाग नहीं लिया. इसके बाद विभाग ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन रोकने के आदेश जारी कर दिए.
केरल विधानसभा में विपक्ष के बहिष्कार के बीच विश्वविद्यालय क़ानून (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया गया. इस विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद पर राज्यपाल की जगह प्रख्यात शिक्षाविदों की नियुक्ति की जा सकेगी.
केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने कहा कि 1956 में केरल के अस्तित्व में आने से पहले भी राज्यपाल विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति थे. यह एक ऐसी चीज़ है, जिस पर एक राष्ट्रीय आम सहमति बनी और एक राष्ट्रीय परिपाटी विकसित हुई. ताकि विश्वविद्यालयों में कोई शासकीय हस्तक्षेप न हो और उनकी स्वायत्तता सुरक्षित रहे.
केरल कैबिनेट ने नौ नवंबर को राज्य में कुलपतियों की नियुक्ति सहित विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान के साथ वाम सरकार की खींचतान के बीच अध्यादेश लाने का फैसला किया था. अध्यादेश का उद्देश्य प्रख्यात शिक्षाविदों को राज्यपाल के स्थान पर राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करना है.
केरल हाईकोर्ट ने राज्यपाल व राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति आरिफ़ मोहम्मद ख़ान को मामले की सुनवाई होने तक उन कुलपतियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है, जिन्हें उन्होंने कारण बताओ नोटिस भेजा था. ख़ान ने राज्य के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को ऐसे नोटिस भेजे हैं.
राजभवन में एक जुलाई को आयोजित राज्यपाल कलराज मिश्र की जीवनी के विमोचन कार्यक्रम में शामिल राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के वाहनों में प्रकाशक ने पुस्तक की प्रतियां रख दीं और उनका बिल उनके वाहन चालकों को थमा दिया था. राजभवन ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि पुस्तक के विपणन और इससे संबंधित किसी व्यावसायिक गतिविधि में उसकी कोई भूमिका नहीं है.