अपने संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों के ऊपर उड़ रहे एक चीनी जासूसी गुब्बारे को अमेरिका ने बीते 4 फरवरी को मार गिराया था. अब अमेरिकी अख़बार ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि चीन से संचालित जासूसी गुब्बारों ने जापान, भारत, वियतनाम, ताइवान और फिलीपींस सहित चीन के लिए उभरते रणनीतिक हित के देशों और क्षेत्रों में सैन्य संपत्ति के बारे में जानकारी एकत्र की है.
अमेरिकी संस्थानों द्वारा जारी सूचकांक रिपोर्ट कहती है कि तेज़ी से ख़तरनाक होती वायु गुणवत्ता और बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के साथ भारत पहली बार रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर है. भारत की स्थिति म्यांमार, वियतनाम, बांग्लादेश और पाकिस्तान से बदतर है. भारत सरकार ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए आकलन के पैमाने और तरीकों पर सवाल उठाए हैं.
चीन में कामगारों के बढ़ते वेतन और अमेरिका के साथ इसके ट्रेड वॉर के बाद कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने वहां से अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस शिफ्ट करने शुरू कर दिए थे, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद अप्रैल 2018 से लेकर अगस्त 2019 के बीच ऐसी कंपनियों में से सिर्फ तीन ही भारत आईं.
फोर्ब्स ने अपने 18 महीने के सर्वे में पाया है कि एशिया महाद्वीप के टॉप 5 भ्रष्ट देशों में भारत का स्थान सबसे ऊपर है, जबकि पाकिस्तान चौथे नंबर पर है.
आज के नव उग्र-राष्ट्रवादी समय में यह याद करना फ़ायदेमंद होगा कि परिपक्व राष्ट्र युद्ध के समय भी साधारण व्यक्तियों या सुपरस्टारों को भी आधिकारिक ‘लकीर’ से अलग चलने की आज़ादी देता है.