रूस की सेना का दावा है कि उसने यूक्रेन की राजधानी कीव के बाहर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक विमानतल को अपने कब्ज़े में ले लिया है, साथ ही रूसी सैनिक कीव में घुस चुके हैं. रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उनका कोई सैनिक हताहत नहीं है, वहीं यूक्रेन ने कहा कि क़रीब हज़ार रूसी सैनिक मारे गए हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अन्य देशों को चेतावनी दी है कि रूसी कार्रवाई में किसी प्रकार के हस्तक्षेप के प्रयास के ऐसे परिणाम होंगे, जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखे होंगे. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अकारण हमले की निंदा की. भारत ने तनाव कम करने का आह्वान किया. वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने रूस में अपने सैनिकों को वापस लेने की अपील की.
रूस के क़दम भू-राजनीतिक संतुलन को बुरी तरह से बिगाड़ने वाले हैं, लेकिन क्या इन्हें अप्रत्याशित कहा जा सकता है? जवाब है, नहीं. कौन-सा शक्तिशाली देश अपने पड़ोस में निरंतर किए जा रहे रणनीतिक अतिक्रमणों को स्वीकार करेगा? अतीत में अपनी कमज़ोरी की क़ीमत चुकाने के बाद रूस को लगता है कि अब मज़बूत जवाबी कार्रवाई करने का वक़्त आ गया है.
रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से तनाव जारी है. वर्तमान में युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. यूक्रेन सीमा पर रूस एक लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती कर चुका है. अपने सैन्य बलों को वापस बुलाने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका से सुरक्षा की कई मांगें की हैं. यूक्रेन के नाटो में प्रवेश पर प्रतिबंध और नाटो पूर्वी यूरोप के अधिकांश हिस्सों से सैनिकों और हथियारों को हटाए, रूस की प्रमुख मांग है.
इस कदम के ज़रिये पिछले साल संवैधानिक बदलाव के लिए हुए मतदान में प्राप्त समर्थन को औपचारिक रूप दिया गया. पिछले साल एक जुलाई को हुए संवैधानिक मतदान में एक ऐसा प्रावधान भी शामिल था जो पुतिन को दो और बार राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने की अनुमति प्रदान करता है.
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के धुर विरोधी नेता एलेक्सी नवलनी साइबेरिया के ओम्स्क शहर से मॉस्को लौट रहे थे, जब विमान में अचानक उनकी तबियत ख़राब हुई. 44 वर्षीय नवलनी वकील और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ काम करने वाले कार्यकर्ता हैं, जो क्रेमलिन विरोधी प्रदर्शनों के चलते कई बार जेल जा चुके हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संविधान में जिन बदलावों का प्रस्ताव दिया है, उससे राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी सत्ता पर उनकी पकड़ मजबूत होगी. साल 2024 में पुतिन का कार्यकाल समाप्त होगा.
मोदी सरकार और उनके समर्थक लगातार मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा थू की कहावत को चरितार्थ करते नज़र आ रहे हैं. विचार या निष्कर्ष उनके अनुकूल हुए तो उसके सौ खोट भी सिर माथे और प्रतिकूल हुए तो ईमानदार विश्लेषण भी टके सेर.
जन गण मन की बात की 312वीं कड़ी में विनोद दुआ केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटाने और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर चर्चा कर रहे हैं.