शाहरुख़ ख़ान की 'जवान' का स्पष्ट राजनीतिक संदेश यह है कि 'सक्रिय नागरिकों' की निरंतर निगरानी के बिना लोकतंत्र को नेताओं के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता.
साल 2018 में गिरफ़्तार किए गए एक कथित बांग्लादेशी नागरिक और उनकी बेटी को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि ऐसे नागरिकों के बरी या रिहा होने के बाद भी प्रशासन द्वारा उचित ट्रिब्यूनल के सामने ऐसे लोगों की नागरिकता पर सवाल उठाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
तीन छात्रों ने एक याचिका दायर कर देश की सभी जेलों में बंद कैदियों को मतदान का अधिकार देने का अनुरोध किया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह सुविधा कानून के तहत उपलब्ध है और इसे कानून के माध्यम से छीना जा सकता है.
अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता के मामलों पर बनी एक संघीय संस्था यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम ने आरोप लगाया है कि असम में एनआरसी धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने और मुस्लिमों को राज्यविहीन करने का एक साधन है.
भारत दौरे पर आईं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान एनआरसी का मुद्दा उठाया.
असम में 31 अगस्त को जारी हुई एनआरसी की अंतिम सूची में 19 लाख से ज्यादा आवेदकों के नाम नहीं हैं, जिनमें 12 लाख से अधिक हिंदू शामिल हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश की जनता ने 2019 के आम चुनाव के फैसले के माध्यम से देशभर में एनआरसी लागू करने पर अपनी मुहर लगा दी है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि बांग्लादेश से सटे जिलों में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों लोगों को गलत तरीके से असम एनआरसी में शामिल किया गया है. इस वजह से एनआरसी को अंतिम रूप देने के लिए 31 जुलाई की समयसीमा बढ़ाई जाए.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि देश की इंच-इंच ज़मीन पर जो अवैध प्रवासी रहते हैं, हम उनकी पहचान करेंगे तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उन्हें निर्वासित करेंगे.
विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुमाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था.
नई निष्कासन सूची में जिन लोगों के नाम शामिल हैं ये वो लोग हैं जिनके नाम पिछले साल 30 जुलाई को जारी एनआरसी के मसौदे में शामिल थे, लेकिन बाद में वे इसके योग्य नहीं पाए गए.
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का दूसरा और अंतिम मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित किया गया था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे. इस मसौदे में 40,70,707 लोगों के नाम नहीं थे.
रामदेव ने कहा कि चाहे हिंदू हो या मुसलमान जो भी दो से ज़्यादा बच्चे पैदा करें उनसे सरकारी नौकरी और इलाज की सुविधा छीन लेनी चाहिए. ऐसा करने से ही जनसंख्या नियंत्रित होगी.