बुंदेलखंड में हर घर नल से जल पहुंचने का सरकारी दावा खोखला साबित हुआ

केंद्र सरकार पिछले चार सालों से 'जल जीवन मिशन' के तहत पूरे देश में 'हर घर नल से जल' योजना को यूं प्रचारित कर रही है कि आज़ादी के बाद पहली बार सरकार ने आम आदमी के घर तक पेयजल पहुंचाने का प्रबंध किया है. हालांकि, ज़मीनी हक़ीक़त सरकार के दावों के विपरीत है.

चंबल के डकैतों ने पानी बचाने के लिए कैसे हथियार छोड़ दिए

डाकुओं के लिए कुख्यात चंबल क्षेत्र के कई डाकुओं ने नागरिक समाज संगठन तरुण भारत संघ की मदद और प्रोत्साहन के बाद हिंसा, लूटपाट और बंदूकें छोड़कर जल संकट से जूझ रहे इस इलाके में पानी के संरक्षण का बीड़ा उठाया है. विश्व जल शांति दिवस के मौक़े पर इनमें से कइयों को सम्मानित भी किया गया.

एमपी: भाजपा सांसद बोले- शराब पियो, गुटखा खाओ या थिनर सूंघो, पानी का टैक्स देना होगा

रीवा से भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा जल संरक्षण संबंधी एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि नदी, नाले, तालाब सब सूख गए हैं, जलस्तर कम हो गया है, पानी तब बचेगा जब पैसा लगाओ... चाहे कितनी फ़िज़ूलख़र्ची करो... हमें आपत्ति नहीं है, लेकिन जल कर चुकाओ.

जल संकट का सामना कर रहे कर्नाटक में पानी के बेजा इस्तेमाल पर जुर्माना लगाने का प्रस्ताव

कर्नाटक की जल नीति 2022 में आगाह किया गया है कि आने वाले वक़्त में बारिश में कमी आएगी और सूखा प्रभावित क्षेत्र बढ़ेंगे, जो गंभीर चिंता का विषय है. अधिकारियों ने बताया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए जल नीति में कई पहलों का ज़िक्र किया गया है, जिनमें पानी के बेजा इस्तेमाल पर जुर्माना लगाना और भूजल निकालने पर रोक आदि शामिल हैं.

‘पंजाब: जिनां राहां दी मैं सार न जाणां’ कविता या कहानी नहीं, अतीत और आज का जीवंत दस्तावेज़ है

पुस्तक समीक्षा: अमनदीप संधू की किताब 'पंजाब: जर्नी थ्रू फॉल्ट लाइंस' के पंजाबी अनुवाद 'पंजाब: जिनां राहां दी मैं सार न जाणां' में वो पंजाब नहीं दिखता है जो फिल्मों, गीतों में दिखाया जाता रहा है. यहां इस सूबे की तल्ख़, खुरदरी और ज़मीनी हक़ीक़त से सामना होता है.

पिछले कई सालों से पानी की क़िल्लत से परेशान दिल्लीवासी, आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

वीडियो: दिल्ली देश की राजधानी है, लेकिन हर साल गर्मियों के मौसम में मानसून आने से पहले यहां पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. दिल्ली को पानी की जितनी ज़रूरत है, उतनी आपूर्ति नहीं होती है. इस वजह से दिल्ली में हर साल पानी का संकट खड़ा हो जाता है.

हां, हम आंदोलनजीवी हैं, आपने हमने मज़बूर किया है: मेधा पाटकर

एक कार्यक्रम में जनांदोलनों की ज़रूरत रेखांकित करते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि आज केंद्र की नीतियों की वजह से वंचित समुदाय हाशिए पर धकेल दिए गए हैं, ग़रीबों के सभी विकल्प उनसे छीन लिए गए हैं, इस वजह से उन्हें सड़कों पर निकलना पड़ रहा है.

पानी की कमी जारी रहने पर भारत जलवायु शरणार्थी संकट का कर सकता है सामना: ‘वॉटरमैन’ राजेंद्र सिंह

भारत के वॉटरमैन नाम से मशहूर जल संरक्षणवादी राजेंद्र सिंह ने कहा कि यूरोप कई अफ्रीकी देशों से आ रहे जलवायु शरणार्थियों का सामना कर रहा है. सौभाग्य से भारतीयों को अभी जलवायु शरणार्थी नहीं कहा जाता है, लेकिन अगले सात साल में अगर देश में जल की कमी बनी रही तो भारतीयों को भी उसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ेगा.

बिहार हर घर नल का जल: जदयू नेता के परिवार को 80 करोड़ का ठेका, पूर्व मंत्री के भतीजे को भी मिला लाभ

इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने अपनी जांच में पाया है कि बिहार के कम से कम 20 ज़िलों में ऐसे ठेके दिए गए हैं, जिसका फ़ायदा नेताओं के सहयोगियों को हो रहा है. इसमें भाजपा और जदयू से लेकर राजद तक के वरिष्ठ नेताओं के रिश्तेदार शामिल हैं.

बिहार: ‘हर घर नल का जल’ योजना के तहत उपमुख्यमंत्री के परिजनों को मिले करोड़ों के ठेके- रिपोर्ट

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बिहार में भाजपा के विधायक दल के नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के परिवार के सदस्यों और क़रीबियों को 'हर घर नल का जल' योजना के तहत 53 करोड़ रुपये से अधिक का ठेका दिया गया, जिसमें उनकी बहू पूजा कुमारी और उनके साले प्रदीप कुमार भगत भी शामिल हैं.

हर घर नल से जल योजना का चेहरा सामाजिक है, लेकिन एजेंडा काॅरपोरेट नज़र आ रहा है

नल जल योजना में स्रोत से लेकर गांव की हद तक पानी पहुंचाने का काम कंपनियों को सौंपा गया है. कोई गारंटी नहीं कि कंपनी आपूर्ति के मूल जल-स्रोत पर अपना हक़ नहीं जताएगी. एकाधिकार हुआ तो सिंचाई आदि के लिए पानी से इनकार किया जा सकता है, वसूली भी हो सकती है. मोदी सरकार की अन्य कई योजनाओं की तरह नल-जल का एजेंडा काॅरपोरेट नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है?

बिहार: फ्लोराइड से बर्बाद होती पीढ़ियां चुनावी मुद्दा क्यों नहीं है

ग्राउंड रिपोर्ट: गया शहर से 8 किलोमीटर दूर चूड़ी पंचायत के चुड़ामननगर में कमोबेश हर परिवार में कम से कम एक व्यक्ति पानी से मिले फ्लोराइड के चलते शरीर में आई अक्षमता से प्रभावित है. बड़े-बड़े चुनावी वादों के बीच इस क्षेत्र के लोगों को साफ़ पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं है.

गुजरात सरकार ने जल जीवन मिशन से एससी/एसटी परिवारों को बाहर रखा, केंद्र ने जताई चिंता

गुजरात सरकार ने इस साल कुल 11.15 लाख परिवारों में नल लगाने का प्रस्ताव जल शक्ति मंत्रालय के पास भेजा था, जिसमें सिर्फ़ 62,043 एससी/एसटी परिवार शामिल हैं. इसे लेकर मंत्रालय ने नाराज़गी जताई है और प्रस्ताव में बदलाव करने के लिए कहा है.

पहाड़ों पर प्राकृतिक जलस्रोतों की बर्बादी और पानी की अंतहीन खोज

पहाड़ों पर पानी उपलब्ध कराने वाले परंपरागत संसाधन उपेक्षित पड़े हैं. भारी भरकम बजट वाली बड़ी-बड़ी परियोजनाओं से पानी उपलब्ध करने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन जल संरक्षण से जुड़ी पारंपरिक जानकारी को सहेजने-समेटने में न तो सरकारी विभागों कि रुचि है और न ही नई पीढ़ी की.

महाराष्ट्र: सरकारी रिपोर्ट में मराठवाड़ा के किसानों के लिए 2,904 करोड़ के मुआवजे की सिफारिश

महाराष्ट्र सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया कि बेमौसम बरसात से 44,33,549 किसान प्रभावित हुए और आठ जिलों में 41,49,175 हेक्टेयर जमीन पर फसल बर्बाद हुई.

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