उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तकनीकी समिति ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर नागरिकों से यह भी बताने को कहा है कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि उनके मोबाइल फोन में इज़रायल के एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित पेगासस स्पायवेयर से सेंध लगाई गई होगी. जांच के लिए उन्हें अपना फोन दिल्ली में जमा करना होगा.
सोशल मीडिया कंपनी वॉट्सऐप ने अपनी ताज़ा अनुपालन रिपोर्ट में कहा कि इस दौरान इस दौरान उसे 602 शिकायतें मिली हैं. नए आईटी नियमों के तहत 50 लाख से अधिक यूज़र्स वाले बड़े डिजिटल मंचों को हर महीने अपनी अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करनी होती है, जिसमें प्राप्त शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई का विवरण होता है.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत द वायर सहित 17 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने जुलाई में बताया था कि विपक्षी नेताओं, सरकार से असहमति जताने वालों और सरकारी अधिकारियों को संभवतः पेगासस के ज़रिये निशाना बनाया गया.
द वायर ने अपनी कई रिपोर्ट्स में बताया था कि किस तरह इज़राइल स्थित एनएसओ ग्रुप द्वारा निर्मित मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर भारत के पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और सिविल समाज के सदस्यों को निशाना बनाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने डेटा प्राइवेसी के मसले पर एक समिति गठित कर दी है, यह सिर्फ फ्री स्पीच बनाम हेट स्पीच का मामला नहीं रहा गया है, बल्कि प्राइवेसी बनाम डीप स्टेट और प्राइवेसी बनाम बिग टेक, जो इस नए युद्ध का नया मोर्चा हो गया है, का मामला बन गया है.
याचिकाकर्ताओं को भेजे एक ईमेल में कहा गया है कि जिस डिवाइस में कथित रूप से पेगासस स्पायवेयर डाला गया था, उसे नई दिल्ली में जमा कराया जाए. हालांकि यह नहीं बताया गया है कि आखिर इसे किस जगह पर जमा करना है.
वॉट्सऐप या फेसबुक के उलट एप्पल विवादित नहीं है और मोदी सरकार द्वारा इसे काफी ऊंचे पायदान पर रखा जाता है. इस पृष्ठभूमि में अब तक पेगासस के इस्तेमाल को नकारती आई भारत सरकार के लिए एप्पल के ऑपरेटिंग सिस्टम में हुई सेंधमारी के संबंध में कंपनी के निष्कर्षों को नकारना बहुत मुश्किल होगा.
कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने कहा कि कई रिपोर्ट आ चुकी हैं कि फेसबुक के ज़रिये फैलाए जा रहे नफ़रत भरे संवाद और सामग्री, फ़र्ज़ी ख़बरों को रोकने के लिए कारगर प्रयास नहीं किए गए. इस तरह की सामग्री कम होने की बजाय बढ़ गई है. हमारी फेसबुक से मांग है कि वह इसकी स्वतंत्र जांच कराए.
अमेरिकी के वाणिज्य विभाग ने इस ‘ब्लैकलिस्ट’ में चार कंपनियों को शामिल किया है, जिसमें एनएसओ के अलावा इज़रायल की ही एक कंपनी- कैंडिरू भी शामिल है. विभाग की इस लिस्ट में शामिल की गई कंपनियों को अमेरिकी सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर मुहैया कराने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
पेगासस जासूसी का मामला एक तरह से मीडिया, सिविल सोसाइटी, न्यायपालिका, विपक्ष और चुनाव आयोग जैसे लोकतांत्रिक संस्थानों पर आख़िरी हमले सरीख़ा था. ऐसे में कोई हैरानी की बात नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फ़ैसले ने कइयों को राहत पहुंचाई, जो हाल के वर्षों में एक अनदेखी बात हो चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि ये फैसला ही अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि कोर्ट ने प्रथमदृष्टया सरकार को दोषी ठहराया है. वहीं आर्यन ख़ान मामले में उन्होंने कहा कि निचली न्यायपालिका में कुछ गंभीर गड़बड़ है, जिसके चलते भारत एक ‘पुलिस राज्य’ बनने की ओर बढ़ रहा है.
इज़रायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा कि पेगासस स्पायवेयर को लेकर भारत में जो कुछ भी हो रहा है, वह उसका आंतरिक मामला है, लेकिन हम केवल सरकारों को निर्यात करने के लिए एनएसओ जैसी कंपनियों को निर्यात लाइसेंस देते हैं.
विपक्षी दलों ने पेगासस स्पायवेयर के माध्यम से कुछ भारतीय नागरिकों की जासूसी और सर्विलांस के प्रयास के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा समिति गठित करने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि जांच से केंद्र सरकार की ओर से किया गया क़ानूनों के उल्लंघन का सच सामने आ जाएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने इस आदेश को 'अंधेरे में रोशनी की किरण' बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने समिति का गठन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में निजता का हनन नहीं हो सकता. अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा उचित हलफ़नामा दायर न करने को लेकर गहरी नाराज़गी जताई और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा होने का दावा करना पर्याप्त नहीं है, इसे साबित भी करना होता है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति को पेगासस जासूसी मामले में सात बिंदुओं पर जांच करने और सात बिंदुओं पर महत्वपूर्ण सिफ़ारिश करने का निर्देश दिया गया है. अदालत ने कहा कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देने मात्र से न्यायालय मूक दर्शक बना नहीं रह सकता है.