शिक्षा का अधिकार कानून: दस सालों के सफर में हमने क्या हासिल किया?

साल 2010 में शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के बाद पहली बार सरकारों की कानूनी जवाबदेही बनी कि वे 6 से 14 साल सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करें. लेकिन इसी के साथ ही इस कानून की सबसे बड़ी सीमा यह रही है कि इसने सावर्जनिक और निजी स्कूलों के अन्तर्विरोध से कोई छेड़-छाड़ नहीं की.

सरकारी स्कूल फेल नहीं हुए, इन्हें चलाने वाली सरकारें फेल हुई हैं

सरकारी स्कूलों को बहुत ही प्रायोजित तरीके से निशाना बनाया गया है. प्राइवेट स्कूलों की समर्थक लॉबी की तरफ से बहुत ही आक्रामक ढंग से इस बात का दुष्प्रचार किया गया है कि सरकारी स्कूलों से बेहतर निजी स्कूल होते हैं और सरकारी स्कूलों में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची है.

डेबिट, क्रेडिट कार्ड और ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर फोन धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं: गृह मंत्रालय

गृह मंत्रालय का कहना है कि वह इस तरह की धोखाधड़ी के मामलों से चिंतित है. आम भारतीयों द्वारा डिजिटल भुगतान बढ़ने की वजह से फोन धोखाधड़ी बढ़ रही है.