सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और वायुसेना को निर्देश दिया कि वे शॉर्ट सर्विस कमीशन की 32 सेवानिवृत्त महिला अधिकारियों को पेंशन लाभ देने के उद्देश्य से उनकी स्थायी कमीशन देने पर विचार करें. पीठ ने हालांकि, इस आधार पर उनकी सेवा बहाली का आदेश देने से इनकार कर दिया कि उन्हें 2006 और 2009 के बीच सेवा से मुक्त कर दिया गया था.
शीर्ष अदालत कुछ महिला अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इस साल 25 मार्च के अदालत के निर्णय के बाद भी उन्हें स्थायी कमीशन न देने के लिए सेना के ख़िलाफ़ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी. कोर्ट द्वारा अवमानना कार्रवाई को लेकर चेताने के बाद सेना ने कहा कि वह सभी योग्य महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देगी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे समाज का ढांचा पुरुषों ने पुरुषों के लिए ही बनाया है, जहां समानता की बात एक स्वांग है और आज़ादी के बाद से पुरुषों तथा महिलाओं के बीच की खाई भरने तथा उन्हें समान अवसर देने की कोशिशें की गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली हाईकोर्ट के 2010 के आदेश का पालन नहीं करने पर केंद्र सरकार की आलोचना की और सेना में स्थायी कमीशन का चुनाव करने वाली सभी महिला अधिकारियों को तीन महीने के भीतर स्थायी कमीशन का आदेश दिया.
सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों को उनकी शारीरिक सीमाओं के आधार पर स्थायी पदों से वंचित रखने का मामला. भारतीय सेना में सेवारत महिला अधिकारियों ने केंद्र सरकार द्वारा के सुप्रीम कोर्ट में दिए गए तर्क का विरोध किया है.