देश के श्रमबल में महिलाओं के साथ होने वाली ग़ैर-बराबरी की जड़ें पितृसत्ता में छिपी हैं

ऑक्सफैम की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि भारतीय श्रम बाज़ार में महिलाएं पुरुषों की तुलना में भागीदारी और मेहनताने- दोनों पहलुओं पर ग़ैर-बराबरी का सामना करती हैं. इसकी वजहें आर्थिक तो हैं ही, लेकिन इसका मूल समाज की पितृसत्तात्मक व्यवस्था में छिपा है.

एनएचआरसी की एडवाइज़री में सेक्स वर्कर्स ‘वीमेन ऐट वर्क’ के तौर पर सूचीबद्ध

एनएचआरसी की एडवाइज़री में कहा गया है कि सेक्स वर्कर्स को अनौपचारिक कामगार के तौर पर मान्यता दी जानी चाहिए और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए उन्हें अस्थायी दस्तावेज जारी किया जाना चाहिए. कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण इनकी दयनीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह क़दम उठाया गया है.

क्या हैं अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के सही मायने?

वीडियो: अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के अवसर पर अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय महिलाएं बता रहीं हैं कि उनके लिए इस दिन का क्या मतलब है. बीते साल आए विभिन्न कोर्ट के फ़ैसलों को और महिला आंदोलनों को नारीवाद की दृष्टि से कैसे देखा जा सकता है.