घटना सूरत के सचिन औद्योगिक क्षेत्र में हुई. एक फैक्टरी के पास खड़े रसायन से भरे टैंकर से कथित तौर पर निकले जहरीले धुएं की चपेट में आने से आसपास के इलाकों में मौजूद 26 मज़दूर बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
सांख्यिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन ने 2017-18 में वार्षिक श्रम बल सर्वेक्षण करना शुरू किया, जो अब तक केवल हर पांच वर्षों पर होता था. हाल में एनएसओ ने अपना तीसरा वार्षिक सर्वेक्षण 2019-20 जारी किया, जिसके आंकड़ों से पता चलता है कि श्रम बल भागीदारी की स्थिति अब भी दुरुस्त नहीं है.
दिल्ली के नांगल इलाके में नौ वर्षीय दलित लड़की के कथित तौर पर बलात्कार और हत्या के बाद उसके माता-पिता से मुलाकात की तस्वीर साझा करने को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का ट्विटर अकाउंट बंद किया गया था. कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख के मुताबिक, पार्टी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट और इसके नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के क़रीब 5,000 अकाउंट को ब्लॉक किया गया है.
स्क्रोल डॉट इन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले कुछ दिनों में भाजपा शासित राज्यों द्वारा टीकाकरण की गति को धीमा करना सोमवार को भारत के रिकॉर्ड 86 लाख टीके की खुराक देने का कारण हो सकता है.
एक अनुमान के अनुसार लगभग 70% शहरी कार्यबल अनौपचारिक रूप से कार्यरत हैं. अनौपचारिक श्रमिकों के काम की अनिश्चित प्रकृति पहले ही जोखिम भरी होती है, जिससे उनके कोविड-19 के संपर्क में आने का ख़तरा बढ़ जाता है. मौजूदा टीकाकरण ढांचे में कई बाधाओं के चलते ऐसे कामगारों के टीकाकरण की संभावना कम है.
आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने दो आवेदन दायर कर इस विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2020 से जुड़े कैबिनेट नोट, पत्राचार और फाइल नोटिंग्स की प्रति मांगी थी. आरोप है कि इस संशोधन क़ानून के चलते कई एनजीओ के काम में बाधा आ रही है.
इस पहाड़ी राज्य में काम करने वाले प्रवासी मज़दूरों को डर है कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर में राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान उन्होंने जो दुख और चुनौतियां झेलीं, इस बार भी वैसा ही होने वाला है.
सितंबर 2020 में भारत सरकार द्वारा मज़दूरों के हित का दावा करते हुए लाए गए सामाजिक सुरक्षा क़ानून में असंगठित मज़दूरों के लिए बहुत कुछ नहीं है, जबकि देश के कार्यबल में उनकी 91 प्रतिशत भागीदारी है.
कानपुर जैसे शहर में एक युवा कम्युनिस्ट और ट्रेड यूनियन के सदस्य के बतौर काम करने के दौरान देखे गए पुलिस और प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये ने मेरे लिए वर्गीय दृष्टिकोण और वर्गीय सत्ता की सच्चाई को और प्रमाणित कर दिया.
कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रवासी मज़दूरों के सामने खड़ी हुईं समस्याओं को दूर करने के लिए श्रम मंत्रालय नीति आयोग की अगुवाई में एक नीति तैयार कर रही है. मसौदा नीति में कहा गया है कि प्रवासी मज़दूरों का राजनीतिक समावेश किया जाना चाहिए, ताकि राजनीतिक नेतृत्व को उनके लिए जवाबदेह ठहराया जा सके.
केंद्र सरकार श्रम संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे रहा है. दस केंद्रीय मज़दूर संगठनों की संयुक्त मंच द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सभी चार संहिताओं को रोक दिया जाना चाहिए और फिर इन श्रम संहिताओं पर केंद्रीय मज़दूर संगठनों के साथ सच्ची भावना से द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय बातचीत होनी चाहिए.
2021 में जाते हुए क्या उस सब से उबरना मुमकिन होगा, जिसमें हमने साल 2020 बिताया है?
केंद्र सरकार की आर्थिक और मजदूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ मज़दूर संगठनों के आह्वान पर गुरुवार को एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का विभिन्न हिस्सों में व्यापक असर देखने को मिला. इससे अलग वितरण कंपनियों के निजीकरण के ख़िलाफ़ बिजली कर्मचारियों ने भी देशभर में प्रदर्शन किया. आरएसएस से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ विरोध में शामिल नहीं रहा.
ग्राउंड रिपोर्ट: 80 के दशक में सीवान में शुरू हुई सूत मिल साल 2000 में मज़दूरों को उनका बकाया दिए बिना ही बंद हो गई. मज़दूरों को लगता था कि मिल दोबारा शुरू होगी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार द्वारा यहां इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने के ऐलान के बाद उनकी रही-सही उम्मीदें भी ख़त्म हो गईं.
वीडियो: दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड में काम करने वालों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है. इनमें 30 प्रतिशत स्थायी सदस्य हैं जिन्हें 5 महीने से और 70 प्रतिशत संविदा पर हैं जिन्हें 9 महीने से वेतन नहीं मिला है. प्रभात कुमार और चिन्मय ग्यामलानी की रिपोर्ट.