राज्य बनने के इतना समय बीतने के बाद भी उत्तराखंड का युवा और समाज विकल्पहीनता से जूझ रहा है. हालात बदले नहीं बल्कि और बदहाल हो गए. सरकारों की दोषपूर्ण नीतियों, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार समेत प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के सवालों पर सरकारी तंत्र के पास आज भी कोई जवाब नहीं है.