कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में सत्तारूढ़ भाजपा के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान पर सवाल उठाते हुए और हिंदुओं से भाजपा के इस अभियान का बहिष्कार करने की अपील करते हुए नज़र आ रहे हैं. पुलिस ने कहा कि वीडियो की छानबीन कर क़ानून की उपयुक्त धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी.
देश के कुछ वकीलों और क़ानूनी पेशेवरों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में नफ़रत और हिंसा को बढ़ावा देने वालों के ख़िलाफ़ प्रदेश सरकार का रुख़ नरम है और अल्पसंख्यकों को लेकर उसका रवैया पक्षपातपूर्ण है.
ऑल्ट न्यूज़ के एक अन्य सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने कहा कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मोहम्मद ज़ुबैर को 2020 में दर्ज एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन शाम को बताया गया कि उन्हें एक अन्य मामले में दर्ज एफ़आईआर के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया है. सूत्रों ने बताया कि गिरफ़्तारी हिंदू धार्मिक भावनाओं को कथित रूप से आहत करने के मामले में हुई है.
ट्विटर पर तीन हिंदू संतों- यति नरसिंहानंद, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को कथित नफ़रत फैलाने वाला कहने पर ‘आल्ट न्यूज़’ वेबसाइट के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के ख़ैराबाद थाने में बीते एक जून को मामला दर्ज किया गया था. केस रद्द करने से इनकार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पहली नज़र में प्रतीत होता है कि ज़ुबैर ने अपराध किया है और मामले की जांच करने की ज़रूरत है.
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने एक ट्वीट में हिंदुत्ववादी नेताओं- यति नरसिंहानंद, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को 'घृणा फैलाने वाला' बताया था. इसे लेकर 'राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना' के ज़िला प्रमुख भगवान शरण की शिकायत पर यूपी पुलिस ने उनके खिलाफ़ मामला दर्ज किया है.
यूपी में एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के काफ़िले पर गोली चलाने के आरोपी सचिन पंडित का फेसबुक प्रोफाइल न केवल उसके कट्टरपंथी विचारों, बल्कि यूपी के प्रमुख भाजपा नेताओं से उनकी निकटता भी दिखाती है. पूर्व केंद्रीय मंत्रियों से लेकर पूर्व पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के साथ उसके फोटो सामने आए हैं.
हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों में नफ़रती भाषणों के ख़िलाफ़ दायर याचिका का विरोध करते हुए दो दो दक्षिणपंथी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी याचिकाएं दायर की है. दोनों ने शीर्ष अदालत से उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाने की अपील की है. एक हिंदू संगठन ने पूर्व में मुस्लिम नेताओं द्वारा हिंदुओं के ख़िलाफ़ दिए गए ऐसे ही भाषण के लिए हिंदुओं को समान सुरक्षा दिए जाने की मांग की है.
यति नरसिंहानंद ने एक इंटरव्यू में कहा था, '... सुप्रीम कोर्ट, इस संविधान में हमें कोई भरोसा नहीं है. ये संविधान इस देश के सौ करोड़ हिंदुओं को खा जाएगा. ... जो इस सिस्टम, नेताओं, इस पुलिस, फौज और सुप्रीम कोर्ट में भरोसा कर रहे हैं, वो सारे कुत्ते की मौत मरने वाले हैं.'
वीडियो: अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण, लक्षित हमलों और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर आरफा खानम शेरवानी मुसलमानों के अधिकारों, समुदाय में असुरक्षा और अन्य मुद्दों पर चर्चा कर रही हैं.
हरिद्वार में बीते दिसंबर महीने में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के अलावा उनके नरसंहार का भी आह्वान किया गया था. यति नरसिंहानंद इसके आयोजक थे. इससे पहले उन्हें महिलाओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
हरिद्वार में बीते दिसंबर महीने में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के अलावा उनके नरसंहार का भी आह्वान किया गया था. यति नरसिंहानंद इसके आयोजक थे. इससे पहले उन्हें महिलाओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
भारतीय सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अपनी याचिका में कहा है कि देशद्रोही और विभाजनकारी भाषणों ने न केवल आपराधिक क़ानून का उल्लंघन किया, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 पर भी हमला किया है. ये भाषण राष्ट्र के धर्म-निरपेक्ष ताने-बाने पर दाग लगाते हैं और सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की गंभीर क्षमता रखते हैं.
बीते 17-19 दिसंबर के बीच हरिद्वार में आयोजित विवादित 'धर्म संसद' के प्रमुख आयोजकों में से एक कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता नरसिंहानंद थे. यहां दिए 'हिंदू प्रभाकरण' वाले बयान पर उन्होंने कहा कि जब तक हर हिंदू मंदिर में एक प्रभाकरण, एक भिंडरावाले और एक शाबेग सिंह नहीं होगा, तब तक हिंदू धर्म नहीं बचेगा.