वीडियो: भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश यादव के गढ़ में उन्हें चुनौती देने के लिए केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतारा है. बघेल कभी मुलायम सिंह के क़रीबी थे, लेकिन इस बार वे मैनपुरी की करहट सीट से सपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अखिलेश यादव को चुनौती दे रहे हैं. एसपी सिंह से याकूत अली की बातचीत.
वीडियो: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए आईपीएस अधिकारी असीम अरुण ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी. भाजपा ने उन्हें कन्नौज से चुनाव मैदान में उतारा है. कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण से यूपी चुनाव से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर द वायर के याक़ूत अली ने बातचीत की.
वीडियो: विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र द वायर की टीम उत्तर प्रदेश के नोएडा में अंबेडकर सिटी पहुंची, जहां के निवासियों को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. बिजली भी महंगी दरों पर मिल रही है. इसके अलावा उनकी अन्य समस्याओं पर मुकुल सिंह चौहान की उनसे बातचीत.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में चुनाव की तारीख़ का ऐलान होते ही भाजपा को बड़ा झटका लगा था. कद्दावर ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्रिपरिषद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया. मौर्य भाजपा से समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. मौर्य ने द वायर से अपने इस्तीफे की वजह और आगे की रणनीति के बारे में बात की.
वीडियो: विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के नोएडा क्षेत्र में आने वाले गढ़ी चौखंडी गांव के रहवासियों ने खुली नालियों, कच्ची सड़क, पानी और सीवेज संबंधी समस्याएं उठाई हैं.
वीडियो: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उनकी राजनीतिक कार्यशैली और चुनावी वादों पर ब्रिटेन स्थित बाथ विश्वविद्यालय में विज़िटिंग प्रोफेसर और अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा से वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान की बातचीत.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में सपा नेता आज़म ख़ान को उनके बेटे अब्दुल्ला ख़ान के साथ पुराने मामलों में जेल भेजा दिया गया था. आज़म अभी जेल में है, जबकि उनके बेटे को ज़मानत मिल गई है. अब्दुल्ला खान ने द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी से बातचीत में बताया कि कैसे उनके पूरे परिवार के ख़िलाफ़ सैकड़ों केस लाद दिए गए और कैसे जेल में उनके पिता की पीड़ा जारी है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित को पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर बना दिया है. उनका आरोप है कि अब उन्हें गिरफ़्तार करने की साज़िश रची जा रही है.
मामला लखीमपुर खीरी ज़िले की संपूर्णानगर कोतवाली के कमलापुरी गांव का है, जहां के एक 17 वर्षीय युवक को मोबाइल चोरी के आरोप में खजुरिया चौकी में हिरासत में लिया गया था. आरोप है कि वहां उसकी बेरहमी से पिटाई की गई, जिसके बाद युवक ने एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया.
गोरखपुर शहर सीट पर विपक्ष बेमन से चुनाव लड़ता रहा है. पिछले तीन दशक से सपा, कांग्रेस, बसपा के किसी भी नेता ने इस सीट को केंद्रित कर राजनीतिक कार्य नहीं किया, न ही इसे संघर्ष का क्षेत्र बनाया. हर चुनाव में इन दलों से नए प्रत्याशी आते रहे और चुनाव बाद गायब हो जाते रहे. इसी के चलते भाजपा यहां मज़बूत होती गई.
वीडियो: भारत में महामारी की तीसरी लहर के बीच अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों का संघर्ष जारी है. राष्ट्रीय राजधानी से सटे ग्रेटर नोएडा के लेबर चौक इलाके में द वायर के याक़ूत अली ने मज़दूरों का हाल जाना.
चार जनवरी को इलाहाबाद में रहकर पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र अचानक सड़कों पर निकल आए और ताली-थाली पीटते हुए लंबित भर्तियों को भरने की मांग करने लगे. उनका कहना था कि वे रोज़गार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर सोई हुई सरकार को नींद से जगाना चाहते हैं.
उत्तर प्रदेश भाजपा में विधानसभा चुनाव के सिलसिले में जो कुछ भी ‘अघटनीय’ घट रहा है, वह दरअसल उसके दो नायकों द्वारा प्रायोजित हिंदुत्व के दो अलग-अलग दिखने वाले रूपों का ही संघर्ष है. योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से दूर किए जाने से साफ है कि अभी तक प्रदेश में योगी की आक्रामकता से मात खाता आ रहा मोदी प्रायोजित हिंदुत्व अब खुलकर खेलने की तैयारी कर रहा है.
साक्षात्कार: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर का दावा है 20 जनवरी तक कम से कम डेढ़ दर्जन मंत्री, विधायक भाजपा से इस्तीफ़ा देंगे और समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे. आगामी चुनाव के मद्देनज़र उनसे द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले अचानक एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया गया है. मुख्य सचिव आरके तिवारी को हटाकर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय में सचिव पद पर तैनात दुर्गाशंकर मिश्रा को यह ज़िम्मेदारी सौंप दी गई है. क्या यह माना जाए कि नरेंद्र मोदी ने चुनाव की कमान अपने हाथ में रखने का फैसला किया है, वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.