शीर्ष अदालत उन 41 स्नातकोत्तर डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा- अति विशिष्टता’ की अधिसूचना जारी होने के बाद पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किए गए बदलाव को चुनौती दी थी. अदालत ने कहा कि वह इन युवा डॉक्टरों को कुछ असंवेदनशील नौकरशाहों के हाथों में खेलने की अनुमति नहीं देगा.