कांग्रेस ने ज़किया जाफ़री की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को निराशाजनक क़रार देते हुए सवाल किया कि क्या व्यापक सांप्रदायिक दंगों के मामलों में सिर्फ कलेक्टर और पुलिस उपाधीक्षक की ज़िम्मेदारी होती है, राजनीतिक पदों पर आसीन लोगों की नहीं? अगर राज्य हिंसा और दंगों की चपेट में आता है तो क्या मुख्यमंत्री, कैबिनेट और राज्य सरकार कभी जवाबदेह नहीं होंगी?
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, आईपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका को ख़ारिज किए जाने के एक दिन बाद 25 जून को दर्ज की गई थी.
अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात के दो आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ बीते 25 जून को एक एफ़आईआर दर्ज की थी. इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी को गुमराह करने की साज़िश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.
वीडियो: साल 2002 में गुजरात की मुस्लिम विरोधी हिंसा में नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने के निचली अदालत के फैसले का बरक़रार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़किया जाफ़री की याचिका ख़ारिज किए जाने के एक दिन से भी कम समय में राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने याचिकाकर्ताओं में से एक तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ़्तार कर लिया है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण और सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी से द वायर की सीनियर एडिटर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए गुजरात पुलिस ने शनिवार 25 जून को मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ़्तार कर लिया था. सीतलवाड़ ने 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच की मांग की थी. उनकी गिरफ़्तारी पर विभिन्न संगठनों ने कहा है कि यह कार्रवाई उन लोगों के ख़िलाफ़ सीधा प्रतिशोध है, जो मानवाधिकारों के लिए सवाल उठाने की हिम्मत करते हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ने गुजरात दंगों में गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री की क़ानूनी लड़ाई के दौरान उनका समर्थन किया था. अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज मामले में तीस्ता के अलावा आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार को भी आरोपी बनाया गया है.
गुजरात दंगों के दौरान ज़किया जाफ़री के पति कांग्रेस सांसद रहे एहसान जाफ़री अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को दंगों से संबंधित मामलों में दी गई क्लीनचिट के फैसले को चुनौती देने वाली ज़किया की अपील को बीते शुक्रवार को ख़ारिज कर दिया था.
ज़किया जाफ़री के पति कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. 2017 में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को दंगों से संबंधित मामलों में क्लीनचिट दे दी गई थी, को बरक़रार रखा था.
गुजरात दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने वर्ष 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की क्लीनचिट को चुनौती दी है. उन्होंने दंगों के दौरान बड़ी साज़िश और सुनियोजित तरीके से हिंसा होने का आरोप लगाया है.
गुजरात दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने वर्ष 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की क्लीनचिट को चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि गुजरात दंगों में हिंसा ‘सोच-समझकर’ अंजाम दी गई थी.
गुजरात दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने वर्ष 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की क्लीनचिट को चुनौती दी है.
गुजरात दंगे में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने पांच अक्टूबर, 2017 के गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत द्वारा एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने के फैसले सही ठहराया गया था. एसआईटी ने मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को क्लीनचिट दे दी थी.
गुजरात के गोधरा में साबरमती ट्रेन में आग लगाए जाने के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में 68 लोग मारे गए थे. दंगों में मारे गए इन लोगों में ज़किया जाफ़री के पति एहसान जाफ़री भी शामिल थे. घटना के क़रीब 10 साल बाद आठ फरवरी, 2012 को एसआईटी ने मोदी तथा 63 अन्य को क्लीनचिट देते हुए ‘क्लोज़र रिपोर्ट’ दाख़िल की थी.
गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी ज़किया जाफरी ने एसआईटी द्वारा नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं, नौकरशाहों को मिली क्लीन चिट को चुनौती दी है. कई बार टल चुकी सुनवाई की अगली तारीख़ तय करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अब इसे स्थगित करने के किसी अनुरोध को स्वीकार नहीं करेगा.
गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी ज़किया जाफरी ने एसआईटी द्वारा नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं और नौकरशाहों को क्लीन चिट देने के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर सुनवाई इतने बार टल चुकी है इसलिए एक तारीख लीजिए और यह सुनिश्चित करिए कि सभी मौजूद हों.