आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि आरएसएस का संकीर्ण वैश्विक दृष्टिकोण भारत के लिए गतिरोध पैदा कर सकता है. यह देश हमारे संस्थापकों नेहरू, गांधी के विचारों और हमारे संविधान की बुनियाद पर खड़ा है.
नरेंद्र मोदी ने कम से कम एक ऐसा आर्थिक समाज तो बना दिया है जो नतीजे से नहीं नीयत से मूल्यांकन करता है. मूर्खता की ऐसी आर्थिक जीत कब देखी गई है? गीता गोपीनाथ जैसी अर्थशास्त्री को नीयत का डेटा लेकर अपना नया शोध करना चाहिए.