2018 में भीमा-कोरेगांव में दलित समुदाय के लोगों पर हिंसक भीड़ के हमले के एक दिन बाद एक कार्यकर्ता ने शिकायत दर्ज कर हिंदुत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े पर इस हमले के साज़िशकर्ता होने का आरोप लगाया था. घटना के क़रीब तीन साल बाद उन्हें इस मामले की सुनवाई की कोई उम्मीद नहीं दिखती.