जलवायु परिवर्तन के प्रकोपों को गुटों की कूटनीति में बंट कर नहीं, बल्कि मानवता का सामूहिक संकट समझ कर ही जूझा जा सकता है.
एक बार शोहरत या पैसा, या दोनों हासिल कर लेने के बाद भारतीय अभिनेता, कारोबारी और खिलाड़ी सामाजिक मुद्दों या सरकार के ख़िलाफ़ बोलकर इसे दांव पर लगाने का ख़तरा मोल नहीं लेना चाहते.
मानवाधिकार संस्था फ्रीडम हाउस ने अपने अध्ययन में आॅनलाइन आज़ादी के मामले में भारत को आंशिक स्वतंत्रता वाले देश में शामिल किया है.
द लैनसेट प्लैनेटरी हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि स्वच्छ वायु के कई लाभों में, हड्डियों की मजबूती एवं उन्हें टूटने से बचाना भी शामिल है.
वैज्ञानिकों ने एक तारे आश्चर्यजनक तारे की खोज की है जिसने अपनी चमक फीकी नहीं पड़ने दी, जबकि 50 साल से भी अधिक समय तक इसमें कई बार विस्फोट हुआ.
अमेरिका ने कहा कि वह भारत में गैर सरकारी संगठनों को करीब 5 लाख डॉलर की मदद के जरिये वहां सामाजिक सहिष्णुता में वृद्धि करना चाहता है.
एनबीसी न्यूज़ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ट्रंप अपने परमाणु हथियारों में दस गुना बढ़ोत्तरी चाहते हैं. ट्रंप ने इस ख़बर को फ़र्ज़ी बताया.
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, लोगाें काे गले लगाना ही भारत की ताकत रही है, लेकिन देश सौहार्द्र बिगड़ने के ख़तरे का सामना कर रहा है.
जब कुछ ख़ास व्यापारिक प्रतिष्ठानों का एकाधिकार स्थापित हो जाएगा, तब क़ीमतें सरकार और किसान नहीं, बड़ी कंपनियां तय करेंगी.
आज के नव उग्र-राष्ट्रवादी समय में यह याद करना फ़ायदेमंद होगा कि परिपक्व राष्ट्र युद्ध के समय भी साधारण व्यक्तियों या सुपरस्टारों को भी आधिकारिक ‘लकीर’ से अलग चलने की आज़ादी देता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया अमेरिका दौरे से देश को क्या कोई फायदा होगा? द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि तिब्बत के लोगों की अलग पहचान को बनाए रखने के लिए उन्हें वित्तीय मदद देने की दशकों पुरानी अमेरिकी नीति को पलट दिया जाए.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि अगर भारत-पाकिस्तान मिलकर कश्मीर समस्या का हल नहीं निकाल सकते तो अमेरिका को इसमें दखल देना चाहिए.
राज्यसभा में चुनाव सुधार पर केंद्रित लंबी चर्चा के दौरान विपक्षी नेताओं ने भारत में मीडिया की अंदरूनी संरचना और उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए.
अगर उदारवादी सरकारें रोज़गार, सद्भाव और शान्ति के मोर्चे पर सफल रहतीं, तो दक्षिणपंथ को पैर पसारने का अवसर नहीं मिलता.