पिछले साल 25 मई को अमेरिका के मिनियापोलिस में अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत उनके गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चॉविन द्वारा तक़रीबन नौ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. इस दौरान फ्लॉयड बार-बार कहते रहे थे कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है, लेकिन पुलिसकर्मी नहीं माना. फ्लॉयड की निर्मम मौत से देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
पुलिस की बर्बरता से हम सभी को फ़र्क़ पड़ना चाहिए, भले ही निजी तौर पर हमारे साथ ऐसा न हुआ हो. ये हमारी व्यवस्था का ऐसा हिस्सा बन चुका है, जिसे बदलना चाहिए और पूरी ताक़त से मिलकर ज़ाहिर की गई जनभावना ही ऐसा कर सकती है.
जब विरोध होता है तो व्यवस्था की ओर से उपदेश दिया जाता है कि संवाद की स्थितियां बनानी चाहिए. यह बोझ भी प्रदर्शनकारियों पर ही डाल दिया जाता है कि वे संवाद कायम करें. क्या शोषण तर्क और संवाद के सहारे चलता है? विरोध से अराजकता फैलने का आरोप लगाते समय लोग भूल जाते हैं कि जो विरोध करने को बाध्य हुए हैं, उनके जीवन में अराजकता के अलावा शायद ही कुछ है.
बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस में एक पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गले को घुटनों से कई मिनट तक दबाए रखा था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से नस्लभेद के ख़िलाफ़ अमेरिका सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
ब्रिटिश सिख लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने कहा कि दिल्ली की हिंसा ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की दुखद यादों को ताजा कर दिया है, जब वह भारत में पढ़ रहे थे और उनकी साथी सांसद प्रीत कौर गिल ने भी 1984 दंगों का संदर्भ दिया.
दिल्ली दंगों पर आधिकारिक रूप से प्रतिक्रिया देने वाला ईरान चौथा मुस्लिम-बहुल देश बन गया है. इससे पहले इंडोनेशिया, तुर्की और पाकिस्तान पिछले हफ्ते दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में हुई हिंसा के खिलाफ टिप्पणी कर चुके हैं.
दिल्ली दंगा पर अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों संबंधी अमेरिकी आयोग, अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स और कई अन्य प्रमुख अमेरिकी सांसदों के बयानों पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन टिप्पणियों का उद्देश्य मुद्दे का राजनीतिकरण करना है.
भारत के अपने दो दिवसीय दौरे के अंतिम दिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से देश की राजधानी दिल्ली में हिंसा की घटनाओं के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा था कि जहां तक व्यक्तिगत हमलों के बारे में है, मैंने इसके बारे में सुना, लेकिन मैंने मोदी के साथ चर्चा नहीं की. यह भारत को देखना है.
अपनी यात्रा के दौरान राजधानी दिल्ली में हो रही हिंसक घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा करने के सवाल पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ उन्होंने ऐसी कोई चर्चा नहीं की. यह भारत को देखना है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सोमवार को भारत की पहली यात्रा में गुजरात के अहमदाबाद पहुंचने पर शानदार स्वागत किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद हवाई अड्डे पर अमेरिकी राष्ट्रपति एवं उनकी पत्नी की अगवानी की और ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम के लिये मोटेरा स्टेडियम के मार्ग पर लोग कतारबद्ध होकर उनका स्वागत कर रहे थे.
भारत की 24-25 फरवरी को होने वाली यात्रा से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि कारोबार के क्षेत्र में भारत ने उनके देश के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया. उन्होंने इसके साथ संकेत दिया कि ऐसा हो सकता है कि नई दिल्ली के साथ कोई ‘बड़ा द्विपक्षीय समझौता’ अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले नहीं हो.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि 24 फरवरी को अहमदाबाद में होने जा रहे नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आयोजन एक नवगठित संस्था डोनाल्ड ट्रंप नागरिक अभिनंदन समिति कर रही है. हालांकि इस कार्यक्रम की तैयारियों में लगे अधिकारी इस समिति से वाकिफ़ नहीं हैं.
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगरा आगमन को ध्यान में रखते हुए यमुना नदी की पर्यावरणीय स्थिति में सुधार के लिए मांट नहर के रास्ते मथुरा में 500 क्यूसेक गंगाजल छोड़ा गया है.
आगामी 24-25 फरवरी को भारत दौरे पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर असंतोष जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की.
इससे पहले अहमदाबाद नगर निगम द्वारा सरनियावास या देव सरन झुग्गी, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शहर के दौरा करने के दौरान रास्ते में पड़ेगी, को ढकने के लिए एक दीवार बनवाई गई थी. उसके बाद झुग्गियों में रहने वाले मजदूरों को जगह खाली करने के लिए कहा गया.