मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कई निर्देश देते हुए कहा कि स्वास्थ्य, मौलिक अधिकार होने के अलावा बुनियादी मानवाधिकार भी है, जिसे कोई भी लोकप्रिय सरकार नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती है. सामाजिक न्याय एवं समानता में स्वास्थ्य का अपना एक स्थान है और यह सभी के लिए सुलभ होना चाहिए.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिल भुगतान न होने पर एक निजी अस्पताल द्वारा वृद्ध मरीज को बिस्तर से बांधने के मामले पर संज्ञान लेते हुए अस्पतालों के रिसेप्शन पर फीस की सूची लगाने आदेश दिया था. अब अदालत ने इसके अमल को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
मामला सांबा ज़िले के सरकारी अस्पताल का है. 1 जुलाई को एक सॉफ्ट ड्रिंक प्लांट के मज़दूर के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद यहां के क़रीब 15 मजदूरों की जांच हुई थी, लेकिन दूसरे दौर के टेस्ट की रिपोर्ट आने से पहले ही उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया, जिसके बाद कई अपने गृह-नगरों के लिए निकल गए.
बीते दिनों मध्य प्रदेश के शाजापुर के एक बुज़ुर्ग मरीज़ को अस्पताल के बेड पर रस्सियों से बांधने का वीडियो सामने आया था. मरीज़ की बेटी ने बताया कि बढ़ते बिल को देखकर जब उन्होंने अपने पिता को डिस्चार्ज करने को कहा तब अस्पताल ने बिना पैसे चुकाए ऐसा करने से मना कर दिया. जांच में यह बात सही पाए जाने के बाद अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है.
यह मुंबई के राजावाड़ी अस्पताल का मामला है. पारिवारिक विवाद में एक युवक की हत्या कर दी गई थी, जिनके शव की कोरोना जांच में उसे संक्रमित पाया गया. अस्पताल को शक़ है कि ग़लती से शव किसी और को सौंप दिया गया है.