भाजपा के संस्थापक ने विरोधियों को एंटी-नेशनल कहने पर आपत्ति जताई है, जो मोदी-शाह की रणनीति और अभियान का प्रमुख तत्व रहा है. ऐसा ही कुछ लालकृष्ण आडवाणी ने 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के समय जेल में बंद होने के दौरान भी लिखा था.
भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी ने ब्लॉग लिखकर कहा कि भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सम्मान है. भाजपा ने राजनीतिक रूप से असहमति जताने वालों को कभी दुश्मन नहीं माना बल्कि प्रतिद्वन्द्वी ही माना.