मामला बिहार के कैमूर ज़िले का है. इलाके को टाइगर रिज़र्व न घोषित किए जाने सहित कई अन्य मांगों को लेकर बीते सितंबर महीने में विरोध प्रदर्शन करने वाले हज़ारों आदिवासियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज और गोलीबारी की थी. इस संबंध में दिल्ली से गई एक चार सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट जारी की है.
आरोप है कि जिस स्वास्थ्य अधिकारी ने आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता सोनी सोरी के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि की थी, उसी ने पूछताछ के लिए उन्हें फिट बताया था. इसके बाद पूछताछ में शामिल होने के लिए यात्रा करने को क्वारंटीन नियमों का उल्लंघन बताते हुए सोरी के ख़िलाफ़ उसी स्वास्थ्य अधिकारी ने केस भी दर्ज करा दिया.
मामला स्पीति ज़िले के काजा गांव का है, जहां स्थानीय समिति ने यहां आने वालों के लिए अनिवार्य क्वारंटीन का नियम बनाया है. बीते दिनों प्रदेश के कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडा यहां पहुंचे थे और इस नियम को न मानने पर आदिवासी महिलाओं के समूह ने उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था.
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया कि सामाजिक कार्यकर्ता और आम आदमी पार्टी की नेता सोनी सोरी को पलनार गांव से गिरफ़्तार किया गया. स्थानीय अदालत से जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने एफआईआर में सोनी सोरी और बेला भाटिया को चुनाव आचार संहिता लागू होने के दौरान अवैध रूप से रैली निकालने और प्रशासन के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करने का आरोपी बनाया है. बेला भाटिया ने पुलिस पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया है.
आदिवासी प्रोफेसर जीतराई हांसदा के वकील ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ जून, 2017 में मामला दर्ज किया गया था. वकील ने आशंका जताई कि यह गिरफ़्तारी जानबूझकर चुनावों के बाद की गई है. चुनाव से पहले गिरफ़्तारी करके भाजपा आदिवासियों को नाराज़ करके चुनावों में उनका वोट गंवाना नहीं चाहती थी.
89 वर्षीय रमणिका गुप्ता देश की वामपंथी प्रगतिशील धारा की प्रमुख रचनाकार थीं.